शिक्षक दिवस की सरकारी स्मृति और 3 जनवरी (सावित्री बाई फुले की जयंती) जनमानस स्मृति है..!

सचिन कमल पटेल
इंदौर। सावित्री बाई फुले एक सच्ची लोकतांत्रिक शिक्षाविद् हैं। उन्होंने हाशिए पर रहने वाले वर्गों और विशेष रूप से महिलाओं के लिए शिक्षा का लोकतंत्रीकरण किया। उन्होंने स्कूल शुरू किए और शिक्षा की वकालत की। इसीलिए 3 जनवरी को सच्चे शिक्षक दिवस के रूप में माना जाना चाहिए। फिर भी, शैक्षणिक संस्थान, चाहे स्कूल, मध्य या उच्च, सभी विशिष्ट हैं और भेदभाव का अभ्यास करते हैं। क्या राधाकृष्णन ने कभी समावेशी शिक्षा के बारे में बात की थी? 5 सितंबर एक शिक्षक दिवस की सरकारी स्मृति है, लेकिन 3 जनवरी शिक्षक दिवस की जनमानस स्मृति है। नेशनल एस सी. एस टी. ओबीसी. स्टूडेंट एंड युथ फ्रंट (NSOSYF) 2013 से पुरे देश भर में सावित्री बाई फुले के जन्म दिन को मानने के साथ ही इसे महिला शिक्षक दिवस घोसित करने की मांग भी कर रहा है! राधाकृष्णन दृढ़ रूप से हिंदू दर्शन में विश्वास करते थे, जो दलितों और महिलाओं के लिए शिक्षा के खिलाफ है। हम इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में कैसे मना सकते हैं?


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