काजरी ने बाजरी से बनाई चखली, 8 फ्लेवर में उपलब्ध

जोधपुर। केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) ने मक्के से नमकीन चखली तैयार की है, जो न सिर्फ स्वादिष्ट है बल्कि पोषक तत्वों से भी भरपूर है. काजरी ने 5 तरह की चखली बनाई जो आठ अलग-अलग फ्लेवर में हैं यानी कुल मिलाकर 40 तरह की चखली तैयार की गईं. इससे पहले काजरी ने बाजरे के लड्डू, भुजिया, मठरी, शक्करपारे, पकौड़े और कुरकुरे बनाए. यह सातवां उत्पाद है. इस चखली का प्रदर्शन दिल्ली में होने वाली जी-20 बैठक में भी किया जाएगा.केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की परियोजना के तहत काजरी ने महिला किसानों की आय दोगुनी करने के लिए मक्का के उन्नत उत्पाद तैयार किये। इसमें महिलाओं को कच्चा माल उनकी रसोई में ही उपलब्ध हो जाता है।
काजरी ने कोको बाजरा, बेसन, सूजी, ज्वार का आटा और मक्के का आटा अलग-अलग मिलाकर बाजरे की पांच किस्में तैयार कीं. प्रत्येक में 8 अलग-अलग स्वाद जोड़े गए हैं। इसमें मैगी मसाला, मेथी, कलौंजी, मीठी नीम, पालक, सौंफ, पाव भाजी और लहसुन मसाला और जीरा शामिल है.
काजरी की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. प्रतिभा तिवारी ने कहा कि बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी की पसंद और स्वास्थ्य के अनुसार सभी किस्मों और स्वादों का चयन किया जा सकता है। मधुमेह के रोगी नारियल मकई की चखली खा सकते हैं, हृदय रोगी लहसुन की चखली खा सकते हैं और ग्लूटेन एलर्जी वाले रोगी ज्वार के आटे की चखली खा सकते हैं। इसके कुरकुरेपन के कारण इसे बच्चों समेत हर उम्र के लोग नाश्ते में खा सकते हैं. चखली का सेवन मुख्य रूप से दक्षिण भारत में किया जाता है।
100 ग्राम चखली 350 से 380 किलो कैलोरी ऊर्जा प्रदान करती है। इसमें 70 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 11 ग्राम प्रोटीन, 4.5 ग्राम वसा, कैल्शियम, 3 ग्राम खनिज लवण होते हैं।
