विजन डॉक्यूमेंट शिविर में खनन पट्टाधारकों ने मार्बल डंपिंग भूमि सहित सीमांकन की रखी समस्याएं

राजसमंद। राजजसमंद राजस्थान मिशन 2030 के अभियान के तहत ‘‘विजन डॉक्यूमेंट 2030’’ तैयार करने के लिए मंगलवार को रीको एरिया में मार्बल गैंगसा एसोसिएशन परिसर में जिला स्तरीय शिविर का आयोजन किया गया। जिला स्तरीय शिविर कलक्टर नीलाभ सक्सेना की अध्यक्षता व खान एवं भूविज्ञान विभाग, उद्योग, जीएसटी, वाणिज्यिक एवं रिको विभाग की संयुक्त देखरेख में आयोजन किया गया। शिविर में कलक्टर नीलाभ सक्सेना ने राज्य सरकार के मिशन 2030 के तहत किस प्रकार किया जाना है एवं इससे जुड़ी समस्याओं एवं प्राप्त सुझावों पर चर्चा कर सीएम अशोक गहलोत के विजन 2030 को सफल बनाने के लिए किस प्रकार कार्य योजना बनाने को लेकर चर्चा की।
शिविर में कमलेश्वर बारेगामा, अधीक्षण खनिज अभियंता राजसमंद, जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक भानु प्रताप सिंह, जीएसटी विभाग से रविन्द्र सिंह चुण्डावत, रीको विभाग से राम किशन गुप्ता, खनिज अभियंता लक्ष्मी नारायण, मार्बल गैंगसा एसोसिएशन अध्यक्ष रवि शर्मा, मार्बल माइन्स ऑनर एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव राठौड़, शांति लाल कोठारी, खेतान बिजनेस कॉर्पोरेशन से राजेन्द्र हरलालका उपस्थित रहे। शिविर में विभाग के अधिकारियों सहित उद्योग प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव व विचार बताए व समस्याओं पर अपनी ओर से समाधान सुझाए। कार्यक्रम का संचालन खनि अभियंता आमेट आसिफ अंसारी ने किया। शिविर में करीब 150 खान मालिक, चार्टर्ड अकाउंटेंट, उद्यमी व कटर मालिकों ने भाग लिया ओर अपने लिखित में सुझाव दिए।
कटर एसोसिएशन के अध्यक्ष नाना लाल सार्दुल द्वारा लघु उद्यमों एवं छोटे खनन व्यवसाइयों को आ रही समस्याओं को बताया। सार्दुल ने कटर पॉलिसी लागू करने एवं राजस्व विभाग द्वारा वसूला जा रहा लैंड टैक्स को निरस्त कराने का निवेदन किया। खान विभाग की ओर से स्वीकृत किये गये खनन पट्टों के आस-पास वाहनों के आवागमन, खनन से निकलने वाले मलबे को एक निश्चित स्थान पर डालने एवं उसके लिए विभाग एवं राजस्व के द्वारा भूमि उपलब्ध कराई जाने की की मांग की। खनन पट्टों के प्रभाव में आने के बाद आस-पास के खातेदारों द्वारा भूमि की हाई रेट मांगी जाती है ओर भविष्य में विवाद की स्थिति बनी रहती है। जिससे पट्टा धारक सही तरीके से खनन नही कर पाता है।
इसके अलावा सार्दुल ने माइनिंग प्लान के संबंध मे भी ध्यान आकर्षित किया ओर कहा कि क्षेत्र में खनन के दौरान समय-समय पर परिस्थितियां बदलती रहती है जबकि माइनिंग प्लान अनुमानित प्लानिंग 5 साल के लिए अप्रूवल होता है। ऐसे में निरीक्षण के दौरान माइनिंग प्लान के अनुसार मौके पर स्थिति उपलब्ध होना संभवन नही है। अतः माइनिंग प्लान को समाप्त करने का आग्रह किया। इसके अलावा पंजीयन शुल्क भी डीएलसी दर से कई गुणा वसूला जाता है। जबकि दूसरे कार्यों में डीएलसी रेट पर ही पंजीयन होता है। इसके अलावा पुराने खनन पट्टों के सीमांकन भी पूर्वानुसार ही नापी जाकर निराकरण किया जाएं। शिविर मे बड़ाई गई रायल्टी पर भी आक्रोश व्यक्त किया।
