राजनांदगांव में छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना द्वारा 6 अगस्त को छत्तीसगढ़ महतारी मूर्ति स्थापना

राजनांदगांव। राजनांदगांव को छत्तीसगढ़ के कला-संस्कृति की राजधानी कहा जाता है, मूल छत्तीसगढ़िया कला विधाओं की लगभग समस्त धाराएं यहीं से उपजी, बढ़ीं, पुष्पित और पल्लवित हुईं हैं। इसी माटी के दाऊ मंदराजी, खुमान साव अपनी स्वर लहरियों के साथ आज भी छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में जिंदा हैं। हमारे गोंड राजघराने ने पूरे विश्व में अद्वितीय खैरागढ़ संगीत महाविद्यालय हमें दिया है। लेकिन आज इसी नांदगांव में बाहरी संस्कृति के अतिक्रमण से मूल छत्तीसगढ़िया संस्कृति नंदाने के कगार पर है। छत्तीसगढ़ सहित नांदगांव के भी चौक चौराहों में परप्रांतीय पुरखों के पुतले खड़े हैं।
छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना अपने विभिन्न आंदोलनों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ियापन को बचाने के जद्दोजहद में लगातार संघर्षरत रहती है । इसी कड़ी में राजनांदगांव में रविवार 6 अगस्त को नये बस स्टैंड में भव्य छत्तीसगढ़ महतारी मूर्ति की स्थापना का आयोजन किया गया है । क्रान्ति सेना के जिला अध्यक्ष मनीष देवांगन ने आयोजन के संबंध में बताया कि नगर के शीतला मंदिर बूढ़ा सागर से ठीक 10 बजे सुबह विशाल सांस्कृतिक रैली निकल जाएगी । इस मूल छत्तीसगढ़िया कला रैली में सैकड़ों छत्तीसगढ़िया कलाकार पंथी, सुआ, करमा, गेड़ीनृत्य, राऊतनाचा आदि पारंपरिक विधाओं को प्रदर्शित करते चलेंगे।
इस जूलूस में छत्तीसगढ़ महतारी का भव्य रथ एवं बूढ़ादेव यात्रा रथ भी साथ चलेंगे जिसमें आप रायपुर में प्रस्तावित विशालकाय बूढ़ादेव निर्माण के लिये कांसादान कर सकते हैं। यह रैली आगे चलके नया बस स्टैंड पहुंचेगी जहां पर छत्तीसगढ़ महतारी की भव्य मूर्ति स्थापना छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना करेगी। बस स्टैंड में आयोजित आमसभा में राजनांदगांव जिले के विभिन्न क्षेत्रों में सफल विभूतियों एवं प्रतिभाओं का सम्मान मंच से किया जाएगा। इस अवसर पर छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के नांदगांव जिला पदाधिकारियों ने छत्तीसगढ़िया सगाजनों से 6 अगस्त को नांदगांव पहुंचने की अपील करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ियापन को जिंदा बचाकर रखने के लिए छत्तीसगढ़िया लोगों को ऐसे आयोजनों के लिये सकलाना बहुत जरुरी है।
