जाने कितने तरह के होते है ब्रेन ट्यूमर

कैंसर को जानलेवा बीमारी माना जाता है। हालांकि कुछ मामलों में कैंसर ठीक भी हो जाता है। लेकिन इसकी संभावना बहुत कम होती है। कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर के इलाज के लिए सही समय पर इसकी पहचान करना जरूरी है। ब्रेन कैंसर को भी गंभीर कैंसर में से एक माना जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर मरीजों की मौत कैंसर का पता पहले न चल पाने की वजह से होती है।
ब्रेन ट्यूमर 150 प्रकार के होते हैं
ब्रेन ट्यूमर दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। ऐसा होने का मुख्य कारण यह है कि मस्तिष्क में कोशिकाएं कई गुना बढ़ जाती हैं। इनकी वृद्धि असामान्य होती है। अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ न्यूरोलॉजिकल सर्जन के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर 150 से अधिक प्रकार के होते हैं। इन्हें मुख्य रूप से दो समूहों में बांटा गया है। पहला प्राथमिक और दूसरा मेटास्टेटिक ब्रेन ट्यूमर।
कुछ कैंसर घातक हो सकते हैं
कुछ ब्रेन ट्यूमर कैंसर रहित होते हैं। जबकि कुछ जानलेवा भी हो सकते हैं। मस्तिष्क में शुरू होने और बढ़ने वाले ट्यूमर को प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। ये उन ट्यूमर से अलग होते हैं जो शरीर के अन्य हिस्सों से मस्तिष्क में फैलते हैं, जिन्हें सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर भी कहा जाता है।
ये लक्षण देखे जा सकते हैं
यूके नेशनल हेल्थ सर्विसेज (एनएचएस) का कहना है कि कैंसर वाले ट्यूमर और गैर-कैंसर वाले ब्रेन ट्यूमर के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। हालाँकि, कुछ लक्षण सामान्य हैं। यह सभी प्रकार के ब्रेन कैंसर में देखा जा सकता है। इनमें सिरदर्द, दौरे पड़ना, लगातार बीमार महसूस होना, उल्टी आना, याद रखने में दिक्कत, व्यवहार में बदलाव, देखने और बोलने में दिक्कत जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं।
ग्लियोब्लास्टोमा एक घातक कैंसर है
विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रेन ट्यूमर 150 से ज्यादा प्रकार के होते हैं। इनमें से ग्लियोब्लास्टोमा को वयस्कों में सबसे आक्रामक प्राथमिक कैंसर माना जाता है। यह मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में कोशिकाओं के विकास के साथ बढ़ता है। लेकिन इसकी ग्रोथ बहुत तेज होती है। धीरे-धीरे यह स्वस्थ ऊतकों पर हमला कर उन्हें नष्ट करना शुरू कर देता है। ग्लियोब्लास्टोमा एस्ट्रोसाइट्स नामक कोशिकाओं से बनता है। यह तंत्रिका तंत्र से संबंधित है। खास बात यह है कि यह कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है।
