जेएनयू में मुख्यमंत्री योगी के आर्थिक मॉडल पर चर्चा, पुस्तक का लोकार्पण

नई दिल्ली: देश के चर्चित विश्वविद्यालय जेएनयू में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके आर्थिक विकास के मॉडल पर चर्चा की गई। यहां योगी पर आधारित शोध पुस्तक के लोकार्पण किया गया, इसी दौरान चर्चा की गई। यह पुस्तक उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को केंद्र में रखकर लिखी गई है, इसमें प्रदेश के वन ट्रिलियन डॉलर के महा-अभियान का पड़ताल किया गया है। पुस्तक कानून व्यवस्था, नागरिक सुविधा, रोजगार और स्वास्थ्य का अवलोकन भी है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और भारत सरकार में मंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने सड़क, संचार, परिवहन में ढांचागत सुधार एवं नवनिर्माण करवाने के साथ साथ सख्त कानून व्यवस्था को भी अमलीजामा पहनाया, इससे प्रदेश में एक सुरक्षित वातावरण पैदा हुआ।
उन्होंने कहा कि देश मोदी और योगी के नेतृत्व में सुदृढ़ राह पर है जहां, गरीब, पिछड़े, दलित, आदिवासी, युवाओं और महिलाओं के लिए विभिन्न स्कीमों के माध्यम से ठोस कार्य हो रहा है और इस पुस्तक में इन सब पर विस्तार से चर्चा है।
पुस्तक की सम्पादक जेएनयू में प्रोफेसर पूनम कुमारी ने बताया कि मूलत: अंग्रेजी में लिखित पुस्तक ‘योगी ऐट वन ट्रिलियन ड्राइव, एक्सलरेटिंग यूपी टू ए ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी’ बढ़ते हुए उत्तर प्रदेश का शोधपरक लेखाजोखा है। प्रो. पूनम ने इस बात को रेखांकित किया कि प्रदेश के दूरगामी लक्ष्यों पर आधारित यह अपनी तरह की पहली पुस्तक है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यों पर आधारित अपनी तरह का यह पहला कार्यक्रम है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में, विशेषकर जेएनयू में इस तरह के कार्यक्रम का संपन्न होना अपने आप में एक नए युग की शुरुआत का द्योतक है। पुस्तक अर्थ को केंद्र में रखते हुए राम राज्य की परिकल्पना को ही आधार प्रदान करती है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वीके सिंह थे।
इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स के अध्यक्ष प्रो. रामबहादुर राय और दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेज प्रो. बलराम पाणि विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। जेएनयू के रेक्टर प्रो. दीपेन्द्र नाथ दास व एस एटेंसी रिसर्च सेंटर, बंगलूरु के निदेशक संजीव निश्टल समेत कई शिक्षाविद् इस अवसर पर मौजूद थे। संजीव निश्टल ने पुस्तक के बारे में बताया कि इसमें विभिन्न उत्पादों से लेकर बाजार तक, आयात से लेकर निर्यात तक, पर्यटन से लेकर परिवहन तक और इन्वेस्टमेंट से लेकर डेवलपमेंट तक को पर्याप्त आंकड़ों के साथ उद्घाटित किया गया है। प्रो. दीपेन्द्र नाथ दास ने कहा कि किसी समय यूपी को बीमारू राज्य कहा जाता था, जबकि उत्तर प्रदेश प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों की दृष्टि से विकास की अपार संभावनाओं को समेटे हुए है। इन संसाधनों का कुशलतम उपयोग करते हुए प्रदेश के समग्र एवं समावेशी आर्थिक विकास तथा जनमानस के जीवन स्तर में उन्नयन के उद्देश्य से योगी के संकल्प को दर्शाती यह शोध पुस्तक अत्यंत प्रासंगिक है।
प्रो. बलराम पाणी ने कह कि कल्पना , भावना, योजना और साधना इन सब समन्वय से ही किसी कार्य की सफलता होती है और मोदी और योगी की बड़ी मिसाल हैं। पद्मश्री रामबहादुर राय ने कहा कि केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि समस्त भारत आगामी वर्षों में सबका साथ सबका विकास पर ध्यान देने वाली स्थिर सरकार से प्रोत्साहित है।
उन्होंने अनेक रोचक घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि मोदी के विजन को साकार करते हुए योगी ने अपने नेतृत्व में उत्तर-प्रदेश के लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है। यह पुस्तक इन रीतियों नीतियों का एक अच्छा अभिलेख है।


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