साइबर आपराधियों ने ढूंढा नया तरीका, झांसे में लेकर लगा रहे चपत

शिमला। फास्टैग रिचार्ज ऐप साइबर ठगों के लिए ठगी का हथियार बन गई है। अभी तक साइबर ठग लोगों को केवाईसी, आधार से पैन लिंक और बिजली बिल के नाम पर ठग रहे थे, लेकिन उन्होंने अपना तरीका बदलते हुए फास्टैग रिचार्ज का झांसा देकर ठगी शुरू कर दी है। ऐसे पुलिस ने किसी के कहने पर फोन में ऐप डाउनलोड न करने एवं सतर्क रहने की एडवाइजरी जारी की है। देश के शहरों में टोल पर फास्टैग सुविधा शुरू की गई है। फास्टैग रिचार्ज साइबर ठगों के लिए अवसर बन गई है। साइबर ठग लोगों को फास्ट टैग रिचार्ज के नाम पर ऐप डाउनलोड करने का झांसा दे रहे है। साइबर एक्सपट्र्स के अनुसार फास्ट टैग रिचार्ज के लिए ऐप डाउनलोड करने की जरूरत नहीं है।

ऐसी फोन कॉल और ठगों से सावधान रहने की जरूरत है। साइबर ठग मोबाइल पर मैसेज के जरिए एक लिंक भेजते है और लिंक पर क्लिक करके ऐप डाउनलोड करने को कहते है। ऐसा करने से मोबाइल में मौजूद ई वॉलेट और मैसेजिंग ऐप की जानकारी साइबर ठगों के पास चली जाती है और वे आसानी से आप का मोबाइल वॉलेट और मैसेजिंग ऐप का क्लोन अपने मोबाइल में डाउनलोड कर लेते है। एसपी साइबर क्राइम रोहित मालपानी का कहना है कि किसी भी अनजान व्यक्ति की तरफ मैसेज या लिंक आने पर सतर्क हो जाएं। उस पर क्लिक करते ही आपका फोन हैक हो सकता है। मोबाइल का प्रलोभन या अन्य व्यक्ति द्वारा भेजे मैसेज पर क्लिक करने से ठगी का शिकार हो सकते है।