उप्र में कृषि क्षेत्र का वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में रहा अहम योगदान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के कृषि क्षेत्र का अहम योगदान होने वाला है। कृषि को उस कोर सेक्टर में रखा गया है, जो उत्तर प्रदेश को तरक्की के शिखर पर ले जाएगा। बीते दिनों वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधियों के साथ मुख्य सचिव की मुलाकात में कृषि के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहे उत्तर प्रदेश की इस रणनीति को प्रस्तुत किया गया और भविष्य की संभावनाओं से परिचित कराया गया।

दरअसल, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कृषि के क्षेत्र में तकनीक के इस्तेमाल की पक्षधर है। साथ ही सरकार परंपरागत खेती के अलावा प्राकृतिक खेती को भी प्रोत्साहित कर रही है।

कृषि में इनोवेशन का हो रहा उपयोग

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता का कहना है कि उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कंसल्टैंट के रूप में कार्य कर रहे डेलॉयट इंडिया ने वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधियों के समक्ष प्रस्तुतिकरण के माध्यम से बताया कि कैसे कृषि वन ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगी। उन्होंने बताया कि बीते छह वर्ष में प्रदेश में कृषि क्षेत्र में कई नए इनोवेशन किए गए हैं, जिसका प्रभाव कृषि उत्पादकता में वृद्धि के रूप में देखने को मिला है। प्रदेश आज गेहूं उत्पादन में नंबर एक पर है, जबकि चावल उत्पादन में दूसरे स्थान पर। प्रदेश में कई तरह की फसलों पर काम हो रहा है। कृषि के अंदर नवाचार की शक्ति का संचयन हो रहा है, जिसके चलते कृषि की उच्च तकनीक भविष्य की खेती का आधार बनने की ओर अग्रसर है। परंपरागत कृषि से हटकर हाई टेक कृषि निवेश को आकर्षित कर रही है और साथ ही इस क्षेत्र में लोगों की रुचि को भी बढ़ा रही है।

स्टार्ट-अप्स के साथ साझेदारी पर फोकस

प्रवक्ता ने बताया कि कृषि को लेकर जो स्ट्रैटेजी बनाई गई है, उसके अनुसार इसे दो भागों में बांटा गया है। एक भाग फसलों और फसलों के प्रसंस्करण (प्रासेसिंग) का है तो दूसरा भाग डेयरी, पोल्ट्री और फिशरीज से संबंधित है। पहले भाग यानी फसलों और फसलों के प्रसंस्करण के तहत फसल उपज में सुधार के लिए सीड पार्क्स और एग्री-जंक्शंस जैसे नए गंतव्यों के निर्माण की स्ट्रैटेजी बनाई गई है। यहां लोगों को आधुनिक खेती के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके अलावा दलहन, तिलहन, बाजरा और मक्का की खेती पर मिशन मोड में काम किया जाएगा। साथ ही कृषि यंत्रीकरण यानी मशीनों के माध्यम से कृषि पर भी जोर दिया गया है। कृषि में तकनीक के इस्तेमाल के लिए अधिक से अधिक स्टार्ट-अप्स के साथ साझेदारी पर फोकस किया गया। इसमें फसलों की मैपिंग के साथ ही खेतों से कांटे तक यानी कच्चे खाद्य पदार्थों को उपभोक्ता के लिए तैयार खाद्य उत्पादों में बदलने में शामिल सभी गतिविधियों को प्रमुखता दी गई। इसके अलावा फसल कटाई के बाद बुनियादी ढांचे के विकास को भी प्रमुखता दी गई है। फसल कटाई के बाद के नुकसान-भंडारण, कृषि रसद आदि को कम करने का प्रयास होगा।

दुग्ध उत्पादन के साथ मत्स्य पालन बढ़ाने पर जोर

सरकारी प्रवक्ता के अनुसार डेयरी, पोल्ट्री और फिशरीज के सेगमेंट में भी सुधार के लिए रणनीति पर काम किए जाने पर जोर दिया गया है। इसके अनुसार दुग्ध उत्पादन में सुधार की दिशा में काम किया जाएगा। इसे 4.2 किलो प्रतिदिन से 5 किलो प्रतिदिन के औसत पर लाया जाएगा। इसके साथ ही, नस्ल सुधार, सीमेन तकनीक, चारा, पशुधन देखभाल आदि पर भी फोकस किया जाएगा।

इसी तरह, मत्स्य पालन और मत्स्य उत्पादकता में वृद्धि के लिए जल संसाधनों का उपयोग बढ़ाना, गुणवत्तापूर्ण बीज एवं चारा, झींगा पालन को आगे बढ़ाए जाने की रणनीति है। इसके अलावा पोल्ट्री में कुक्कुट उत्पादन का प्रसार किए जाने की रणनीति बनाई गई है। इसके अंतर्गत क्लस्टर, चारा प्रबंधन के अलावा अंडे की पैदावार बढ़ाने (औसतन 265 से 300 अंडे प्रति वर्ष प्रति बर्ड) पर फोकस किया जाएगा।


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