खुद से दवा लेना हो सकता है घातक, 5 मरीज झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवा रहे

झारखण्ड | इंटरनेट के युग में शहरवासी छोटी-मोटी बीमारियों में खुद से इलाज कर दवा ले लेते हैं. बीमारी के लक्षणों के आधार पर गुगल के जरिए दवा खोज लेते हैं और बाजार से जाकर उसे खरीद लेते हैं, लेकिन यह कई बार घातक हो सकता है और मरीज की मौत हो सकती है. शहर में औसतन 5 से 10 प्रतिशत मरीज खुद से दवा ले रहे हैं. वहीं, पांच प्रतिशत मरीज अब भी झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवा रहे हैं.
इन दिनों मौसमी बीमारियों का दौर चल रहा है. हर घर में सर्दी-खांसी, बुखार, शरीर में दर्द के मरीज मिल जाएंगे, लेकिन इसमें ज्यादातर ऐसे मरीज है, जो दवा दुकानों में जाकर लक्षणों के आधार पर दवा ले लेते हैं. यहीं नहीं, कई बार तो यूट्यूब, गुगल में सर्च कर दवा के बारे में जानकारी ली जाती है. ऐसा करना खतरनाक साबित हो सकता है. ऐसे लोग दवा के रिएक्शन के बारे में नहीं सोचते हैं.
शहर में एक दर्जन से अधिक झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय एक साल बाद भी स्वास्थ्य विभाग 12 फर्जी डॉक्टरों की जांच पूरी नहीं कर पाया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 7 अगस्त 2022 को यह मामला उठाया था और 12 डॉक्टरों के फर्जी होने का प्रमाण विभाग को सौंपा था. कमेटी अबतक जांच पूरी नहीं कर पाई. आईएमए की शिकायत के आधार पर 24 नवंबर 2022 को सिविल सर्जन ने तीन डॉक्टरों की एक जांच कमेटी का गठन किया था. यह कमेटी आईएमए द्वारा उपलब्ध कराए गए 12 फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ सबूतों की जांच कर निर्णय लेगी कि आरोप सही है अथवा गलत. एक साल में भी जांच पूरी नहीं हो पाई है. 2022 में पटमदा में छापेमारी कर फर्जी चिकित्सक आईएन चौधरी को गिरफ्तार किया था. उनपर बिना वैध डिग्री के मरीजों का इलाज करने का आरोप लगा था.
इस मामले में पटमदा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी.
टीम ने फर्जी चिकित्सक के क्लीनिक से कैश, कई प्रतिबंधित दवा बरामद की थी. यहां अवैध तरीके से गर्भपात भी कराया जाता था.
