नफरती भाषणों पर रोक लगाए सरकार

सर्वोच्च न्यायालय ने सही कहा है कि राजनीति में धर्म का इस्तेमाल बंद करने पर ही नफरती भाषण रुकेंगे, किंतु जनता को ऐसा नहीं लगता है कि राजनीतिक दल राजनीति में धर्म का इस्तेमाल करने से पीछे हटेंगे। यदि राजनीतिक दल सर्वोच्च न्यायालय की इस बात से सहमति रखते हैं और पालन करते हैं तो यह एक सराहनीय कदम होगा, और यदि पालन नहीं करते हैं तो न्यायपालिका को ही वांछित कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ सकता है। सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह नेताओं के नफरती भाषण पर त्वरित कार्रवाई करे और नफरती भाषण पर पाबंदी लगाए। ऐसा लगना स्वाभाविक है कि अगर राजनीतिक दलों की ओर से सकारात्मक परिणाम नहीं मिलते हैं तो न्यायपालिका को स्वत: संज्ञान लेने की आवश्यकता पड़ सकती है।
-रूप सिंह नेगी, सोलन
By: divyahimachal
