अपने फैसले पर हाई कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ जज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

बीकानेर: एक असाधारण मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज अपने सुनाए एक फैसले पर हाईकोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। मामला तब का है जब वह एनआईए कोर्ट के जज थे। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस बोपन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई है। पीठ ने मामले में एनआईए को नोटिस जारी किया है। पीठ ने जज की पहचान गोपनीय रखने को भी कहा है। अगली सुनवाई 10 नवंबर को है।

याचिका में हाईकोर्ट के 11 अगस्त के फैसले को नीचा दिखाने वाला बताते हुए इसे हटाने की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आईपीएसी और यूएपीए के तहत दोषी ठहराए गए कई लोगों को बरी कर दिया था। याचिकाकर्ता ने मई 2017 को बतौर स्पेशल जज, एनआईए, गुवाहाटी 13 लोगों को दोषी ठहराया था। याचिका में कहा गया है कि इन्हें रिहा करते वक्त उनके खिलाफ टिप्पणी से बचा जा सकता था। इससे उनके कैरियर पर भी बुरा असर पड़ सकता है। हाईकोर्ट इस मामले में दोषियों की याचिका पर फैसला करते हुए और अपने अधीनस्थ कोर्ट के फैसले की आलोचना करने के दौरान पहले से स्थापित सिद्धांतों का पालन करने में विफल रही, जिसका शीर्ष अदालत कई फैसलों में जिक्र कर चुकी है। याचिका के अनुसार, फैसले की आलोचना और उसे सुनाने वाले की आलोचना में काफी महीन अंतर होता है। ऐसा कहा जाता है कि ऐसा जज अभी आना बाकी है जिससे कोई गलती न हो। यह नियम सभी जजों पर लागू होता है। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया है कि उनके खिलाफ इस गैरजरूरी टिप्पणी से स्टाफ, वकीलों और अन्य लोगों के बीच उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ। वह शांत मन से काम नहीं कर पा रहे और उनके आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को चोट पहुंची है।