बीते 81 वर्षों से बंगला विधान से दुर्गा पूजा आयोजन की परंपरा जारी

लखीसराय। जिले स्थित किऊल रेलवे इंस्टीट्यूट प्रांगण दुर्गा मंदिर में बीते 81 साल से बंगाल परंपरा दुर्गा पूजा समारोह का आयोजन किये जाने की परंपरा जारी है। विदित हो कि इसके पूर्व वर्ष 1942 में पूजा की शुरुआत हुई थी। उसी समय से बंगाली रेलकर्मियों एवं स्थानीय लोगों के सहयोग से दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की परंपरा पूरी श्रद्धा से जारी है । इस बीच किऊल रेलवे इंस्टीच्यूट परिसर स्थित मुख्य मंदिर में माता दुर्गा की संगमरमर मूर्ति निर्मित प्रतिमा भी स्थापित है। दूसरी ओर मुख्य मंदिर से सटे प्रति वर्ष दूसरे मंदिर में मिट्टी निर्मित दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। जिसमें मूर्तिकार से लेकर पूजा आचार्य भी बांग्ला संस्कृति के हैं। वर्तमान में उनके उत्तराधिकारी प्रो आचार्य दुलाल चक्रवती पूजा की परंपरा को निभा रहे हैं। इस बावत में स्थानीय समाज सेवी नवल मंडल बताते हैं कि दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां विशेष सांस्कृतिक धाराएं आकर्षण का केंद्र बनी होती है।

नवल मंडल बताते हैं कि यहां बंगला पद्धति से माता की वैदिक व आध्यात्मिक पूजा की परंपरा है। इस दौरान बलि की भी परंपरा है, जिसके तहत कोहड़े एवं ईख की बलि चढ़ाई जाती है। आयोजन समिति के अनुसार आगामी 23 अक्टूबर को किऊल रेलवे इंस्टीच्यूट परिसर स्थित कला मंच पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। पूजा आयोजन सचिव नवल कुमार ने बताया कि उस दिन बंगाल- झारखंड के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की जाएगी।
किऊल में 81 वर्षों से जारी बंगला दुर्गा पूजा की परंपरा की सफलता के लिए आयोजन समिति के सदस्य सुरेश प्रसाद सिंह ,सुबोध कुमार, रविकांत यादव ,अरुण मंडल ,बंगाली पासवान ,अनिल पासवान, नंदलाल बनर्जी ,रामेश्वर यादव, श्रवण मंडल सहित समस्त दुर्गा वाहिनी के सदस्यों की ओर से दुर्गा पूजा कार्यक्रम की सफलता के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं । मंदिर परिसर में आकर्षक तरीके से पंडाल का निर्माण जारी है। दूसरी ओर खिचड़ी महाप्रसाद वितरण कार्यक्रम के लिए भी विशेष तैयारी अंतिम चरण में कायम है। आयोजन समिति सचिव नवल मंडल के अनुसार सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन विधायक प्रहलाद यादव एवं जदयू जिला अध्यक्ष रामानंद मंडल के द्वारा किया जाएगा।