मणिमहेश यात्रा: हजारों श्रद्धालुओं ने डल झील में लगाई आस्था की डुबकी

चम्बा। उत्तरी भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा के छोटे शाही स्नान में हजारों श्रद्धालुओं ने डल झील में आस्था की डुबकी लगाई। कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालु डल झील में उतरे और स्नान किया। जन्माष्टमी का यह छोटा शाही स्नान बुधवार को दोपहर बाद 3 बजकर 38 मिनट पर आरंभ हुआ है। इसके बाद 7 सितम्बर शाम 4 बजकर 15 मिनट तक चलेगा। इसके चलते वीरवार को स्नान के लिए श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ने की संभावना है। इस बार छोटे शाही स्नान को ही डल झील में बर्फबारी हो गई है। ऐसे में यहां काफी ठंड पड़ रही है। इसके बावजूद श्रद्धालुओं के हौसले कम नहीं हुए हैं। भरमौर के पंडित सुमन शर्मा ने बताया कि इस वर्ष कृष्ण पावंग योग बन रहा है और रोहिणी नक्षत्र भी आ रहा है। 22 सितम्बर को 1 बजकर 36 मिनट पर अष्टमी लग रही है। राधा अष्टमी का स्नान इसी अष्टमी के दौरान होता है, जो 22 सितम्बर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। अष्टमी का स्नान शुरू होने से पहले सप्तमी को सचुई गांव के त्रिलोचन महादेव के वंशजों द्वारा डल झील को तोडऩे यानी पार करने की परंपरा का निर्वहन होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष 21 सितम्बर को 2 बजकर 15 मिनट से सप्तमी शुरू हो रही है और यह 22 सितम्बर को 1 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। ऐसे में डल को तोडऩे की परंपरा 21 सितम्बर को 2 बजे के बाद निभाई जा सकती है।
श्री मणिमहेश यात्रा न्यास एवं भरमौर प्रशासन ने मणिमहेश यात्रियों के लिए गाइडलाइन जारी की है। न्यास सचिव कुलवीर राणा ने कहा कि यात्री अपना पंजीकरण आवश्यक करवाएं। इसके अलावा अपना चिकित्सा प्रमाण पत्र अपने साथ लेकर आएं तथा बेस कैंप हड़सर में स्वास्थ्य जांच अवश्य करवाएं। पूर्णतया स्वस्थ होने पर ही यात्रा करें। हिदायतों में अकेले यात्रा न करने और केवल साथियों के साथ ही यात्रा करने का आग्रह किया है। यात्रियों से चढ़ाई धीरे-धीरे चढ़ने तथा सांस फूलने की स्थिति में वहीं रुक जाने को कहा गया है। छाता, बरसाती, गर्म कपड़े, गर्म जूते, टॉर्च एवं डंडा अपने साथ अवश्य लाने का आग्रह किया गया है। यात्रियों को किसी भी प्रकार का दान अथवा चढ़ावा केवल ट्रस्ट के दान पात्रों में डालने, अपना पहचान पत्र/आधार कार्ड यात्रा के दौरान साथ रखने को भी कहा गया है। यात्रा के दौरान सुबह 4 बजे से पहले और शाम 5 बजे के बाद बेस कैंप हड़सर से यात्रा न करें। खाली प्लास्टिक की बोतलें एवं रैपर आदि खुले में न फैंकें बल्कि अपने साथ वापस लाकर कूड़ेदान में डालें। जड़ी-बूटियों एवं दुर्लभ पौधों से छेड़छाड न करें। किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों मांस-मदिरा आदि का सेवन न करें। यह एक धार्मिक यात्रा है, इसकी पवित्रता का ध्यान रखें। पवित्र मणिमहेश डल झील के आसपास कचरा, गीले कपड़े और स्नान उपरांत अपने अधोवस्त्र इधर-उधर न फैंकें तथा इन्हें नजदीक स्थापित कूड़ेदान में डालें। यात्रा के दौरान चप्पलों की बजाय जूतों का प्रयोग करें। रास्ता दुर्गम होने की वजह से चोट लग सकती है। यात्रा के दौरान मौसम खराब होने पर हड़सर व डल झील के बीच धन्छो, सुन्दरासी, गौरीकुंड एवं डल झील पर सुरक्षित जगह पर रुकें तथा मौसम अनुकूल होने पर ही यात्रा आरंभ करें।


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