हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान सत्यानंद

झारखण्ड : देवी मंडप पूजा समिति सहेड़ा की ओर से रंगारंग नागपुरी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि झारखंड के श्रम नियोजन मंत्री सत्यानंद भोगता ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. विशिष्ट अतिथि कांके प्रमुख सोमनाथ मुंडा थे.
इससे पहले जब मंत्री सहेड़ा मोड़ पहुंचे तो आयोजन समिति के सदस्यों ने उनका स्वागत किया. मशहूर नागपुरी कलाकार चिंता देवी और राजदेव नायक ने दर्शकों को घंटों बांधे रखा. मुख्य आकर्षण मर्दानी नृत्य, झूमर नृत्य और पाइका नृत्य रहे।
यह कार्यक्रम पिछले 16 वर्षों से लगातार आयोजित किया जा रहा है। मंत्री भोगता ने कहा कि हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है. ऐसे कार्यक्रम हमें अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का भी अच्छा अवसर देते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता आयोजन समिति के अध्यक्ष पारसनाथ भोगता ने की. मौके पर मुखिया राजेंद्र बेदिया, उपप्रमुख मणि मुंडा, श्रवण मुंडा, सिकंदर रजवार, नीलमोहन पाहन, साहेबराम भोगता, सोमनाथ बेदिया समेत आयोजन समिति के उपाध्यक्ष प्रकाश यादव, सचिव नंदलाल राम, श्रीनाथ महतो, जयनंदन सिंह, महावीर भोगता , शिवधर रजवार, फारूक खान। ,मनोज पाहन,विनोद रजवार,उदय महतो,रथुवा मुंडा,सीताराम रजवार आदि उपस्थित थे।
मौके पर नागेश्वर महतो, बिहारी महतो, बिरजू लोहार, सुरेश करमाली, दीपक राम, गोपाल करमाली, हरीश भोगता, रवि भोगता, विजय करमाली, बब्लू राम समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे.
पड़हा समाज की विरासत को बचाना प्राथमिकता है, सुबोध

पड़हा व्यवस्था की सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहचान को बचाए रखने के लिए हमें एकजुट होकर आवाज उठानी होगी। यह बात 10 पड़हा कटरमाली अध्यक्ष सुबोध लकड़ा ने कही. वे बेड़ो प्रखंड के मासू गांव के अखाड़ा में आयोजित पड़हा समाज की बैठक में बोल रहे थे. बैठक की अध्यक्षता 10 पड़हा राजा कोमल उराँव ने की।
बैठक में कहा गया कि अगर कोई आदिवासी लड़की किसी गैर आदिवासी लड़के से शादी करती है तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाये, लड़की का जाति प्रमाण पत्र उसके ससुराल वालों द्वारा जारी किया जाये और उसकी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाये जाये. जनजातियों का अस्तित्व, जल, जंगल और जमीन। बैठक में पूर्व मंत्री देवकुमार धान, सामाजिक कार्यकर्ता जगरे उरांव व परमेश्वर भगत आदि ने अपने विचार व्यक्त किये. मौके पर पांच पड़हा राजा नब्बू उराँव, 12 पड़हा राजा विशाल उराँव, 10 पड़हा राजा कोमल उराँव, 21 पड़हा पूर्वी मदन उराँव, आठ पड़हा राजा चरवा उराँव, सात पड़हा राजा जीतू उराँव तथा 12 पड़हा राजा बिसाहा खटंगा सोहराय उराँव आदि उपस्थित थे।
नोट- खबरों की अपडेट के लिए जनता से रिश्ता पर बने रहे |