रिम्स राज्य की माल पहाड़िया जनजाति की औसत आयु कम होने का कारण ढूंढेगा

झारखण्ड | रिम्स का प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (पीएसएम) विभाग माल पहाड़िया जनजाति के रहन-सहन और खान-पान पर शोध करेगा। शोध से यह पता लगाया जाएगा कि आखिर झारखंड की माल पहाड़िया जनजाति की औसत आयु सीमा दूसरे देशों की जनजातियों की तुलना में कम क्यों है? शाेध के दाैरान विदेश की उन जनजातियों के रहन-सहन, खान-पान और जीवनशैली काे भी देखा और परखा जाएगा।
रिम्स प्रबंधन का कहना है कि यह रिसर्च यूराेप के स्वीडन की सामी जनजाति काे आधार मानकर की जाएगी। सामी जनजाति की औसत आयु 83 साल है, जबकि माल पहाड़िया की 60 वर्ष से भी कम। रिसर्च का उद्देश्य झारखंड में विलुप्त होतीं जनजातियों के खान-पान में सुधार लाकर उन्हें ज्यादा से ज्यादा उम्र तक स्वस्थ-नि:रोग रखना है। इस रिसर्च को पीएसएम विभाग के हेड डॉ. विद्यासागर के नेतृत्व में एक टीम करेगी। इसके लिए रिम्स को आईसीएमआर ने फंड दिया है।
रिम्स के एसोसिएट डीन रिसर्च की ओर से पांच पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया है। ये सभी अस्थाई नियुक्तियां सिर्फ 10 से 12 महीने के लिए मान्य होंगे। इसमें प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर, न्यूट्रस्निस्ट, डाटा ऑपरेटर, प्रोजेक्ट असिस्टेंट (मल्टी टास्किंग), प्रोजेक्ट असिस्टेंट और प्रोजेक्ट असिस्टेंट (अकाउंट्स) की नियुक्ति हाेगी। इन पदों के लिए वॉक इन इंटरव्यू 12 सितंबर दोपहर 12 बजे निर्धारित किया है। इसके लिए दुमका के सनमत कल्याण हॉस्पिटल में रिपोर्ट करना होगा।
