जिले में बुनकर, हस्तशिल्प व दस्तकारी जैसे लघु उद्योग होने से वोकल फॉर लोकल योजना फेल

सवाई माधोपुर। सवाईमाधोपुर रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के कारण वर्ष भर यहां देशी- विदेशी पर्यटकों की आवक बनी रहती है। विदेशी पर्यटक यहां के दस्तकारी और हस्तशिल्प के काम और उससे तैयार किए गए उत्पादों को खासा पसंद भी करते है। दस्तकारी के सामानों की तो विदेशों तक भी मांग है। जिले में चार हजार से अधिक लोग दस्तकारी से जुडकऱ अपनी आजीविका चला रही है। इसी प्रकार जिले में वर्तमान में करीब 1000 से अधिक हस्तशिल्पी भी हैं। वहीं कुछ स्वयं सहायता समूहों को भी हस्तशिल्प की कला से जोड़ा गया है।सिर्फ नाम का रह गया शिल्पग्राम सरकार की ओर से पूर्व में रणथम्भौर रोड स्थित रामसिंहपुरा में शिल्पग्राम की शुरूआत की थी। पूर्व में इसका संचालन उदयपुर की एक निजी संस्था की ओर से किया जा रहा था। करीब एक साल पहले इसे राजीविका को दे दिया गया।
लेकिन यहां भी आयोजनों की कमी के कारण हसि्ितश्ल्पयों को पर्याप्त अवसर नहीं मिल पा रहे है। हालांकि पर्यटन विभाग व निजी संस्था की ओर से साल में एक बार कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसमें हस्तशिल्पियों द्वारा अपने उत्पादों की स्टॉल भी लगाई जाती है लेकिन यह प्रयास भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान नाकाफी ही साबित हो रहे हैं। बुनकर उद्योग को भी संजीवनी की दरकार पूर्व में खादी व बुनकर उद्योग जिले की शान रहा है। कभी पूरे जिले में 1500 से अधिक बुनकर थे। अकेले पुराने शहर में ही बुनकरों की संख्या पांच सौ से अधिक थी, लेकिन बाद में यह उद्योग भी महंगाई और आधुनिकता की भेंट चढ़ गया। सरकार की ओर से प्रोत्साहन नहीं मिलने और लोगों का रुझान कम होने के कारण लोंगो ने हैण्डलूम की मशीने बेचकर इस उद्योग से किनारा कर लिया। हालांकि उद्योग विभाग की माने तो जिले में अब भी 700 से अधिक बुनकर है।


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