टनल में 41 जिंदगियां 12 नवंबर से फंसी: रोज अलग-अलग दावे, अच्छी खबर का इंतजार

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी के सिल्कयारा टनल में फंसे 41 मजदूरों की जिंदगी बचाने की जंग जारी है। National Highways & Infrastructure Development Corporation Limited (NHIDCL) के मैजेजिंग डायरेक्टर महमूद अहमद ने कहा, ‘अब हम उस चरण में आ गए हैं कि हमने शनिवार से 2-3 और विकल्पों पर काम करना शुरू कर दिया है। हमने SJVNL से कहा है कि वो वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू करें। यह ड्रिलिंग 1 मीटर से लेकर 1.2 डायमीटर के लिए होा है। हमने उन जगहों की पहचान की है जहां ड्रिलिंग बेहतर हो सकता है। लगभग मीटर तक ड्रिलिंग पूरा हो चुका है। हमने एक जगह की पहचान की है जहां कुल 86 मीटर की ड्रिलिंग होनी हैं। 15 मीटर तक ड्रिलिंग हो चुकी है। हमें ऐसा लगता है कि हम इसे अगले 2 दिनों में कर लेंगे।

महमूद अहमद ने कहा, कंक्रीट बेडिंग पर काम शुरू हो गया है। हमें आशा कि अब से दो दिन और। यह एक लंबी प्रक्रिया है। हमारा टारगेट है कि 15 दिन लगेंगे इस हॉरिजोन्टल ड्रिलिंग को सफल होने में। हम एक ड्रिफ्ट टनल भी बनाना चाहते हैं। इसका डिजाइन बनाया गया है और इसे अप्रूवल मिल गया है। हम कई तरह से काम कर रहे हैं। बारकोट साइड से काम करने में दिक्कतें आ रही हैं।’ ड्रिल करने वाली अमेरिकी ऑगर मशीन के टूटने के कारण सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के अभियान में आए व्यवधान के बाद अब चार योजनाओं पर विचार किया जा रहा है।

चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे इसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे और उन तक पहुंचने की कोशिशों में बार-बार अड़चनें आ रही हैं। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि फंसे मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने की पहली योजना में ऑगर मशीन के फंसे हिस्से को काटकर निकाला जाएगा जिसके बाद मजदूर छोटे उपकरणों के जरिए हाथों से खुदाई कर मलबा निकालेंगे।

उन्होंने बताया कि दूसरी योजना में सुरंग के ऊपरी क्षेत्र में 82 मीटर की लंबवत खुदाई की जाएगी और इसके लिए मशीन का प्लेटफॉर्म तैयार कर लिया गया है तथा मशीन के एक हिस्से को वहां पहुंचा भी दिया गया है। उनके मुताबिक, इस योजना पर रविवार को काम शुरू हो सकता है।

अधिकारियों ने बताया कि तीसरी योजना के तहत सुरंग के बड़कोट छोर की ओर से खुदाई का काम युद्धस्तर पर चल रहा है और यह करीब 500 मीटर का हिस्सा है और इस अभियान में भी 12 से 13 दिन लगने का अनुमान है।

उन्होंने बताया कि चौथी योजना में सुरंग के दोनों किनारों पर समानांतर (क्षैतिज) ड्रिलिंग की जाएगी और इसका सर्वेक्षण हो चुका है तथा रविवार को इस योजना पर भी काम शुरू किया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि ड्रिलिंग के दौरान अमेरिकी ऑगर मशीन अवरोधक की जद में आने से टूट गई और उसका 45 मीटर हिस्सा 800 मिमी पाइप के भीतर फंस गया।

ड्रिल करने वाली अमेरिकी ऑगर मशीन के टूटने के कारण सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के अभियान में आए व्यवधान के बाद अब चार योजनाओं पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बचाव दलों ने 20 मीटर हिस्सा तो गैस कटर से काटकर बाहर निकाल लिया लेकिन बचे हुए 25 मीटर हिस्से को काटने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया है। इससे अभियान के पूरा होने में लगने वाला समय बढ़ गया है। सिलक्यारा में अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स की देखरेख में चल रहे अभियान में विशेषज्ञ लंबवत (‘वर्टिकल’) ड्रिलिंग को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं।

प्रदेश के आपदा प्रबंधन विभाग से जुड़े एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने कहा कि ‘वर्टिकल’ ड्रिलिंग भी एक विकल्प है लेकिन संभव है कि वह अंतिम विकल्प हो। उधर, सिलक्यारा सुरंग के प्रवेश द्वार पर शनिवार से रिस रहे पानी ने सबकी चिंताएं बढ़ा दीं हैं, लेकिन अधिकारी इसे सामान्य घटना मान रहे हैं।


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