लक्ष्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर आगे बढ़ें विद्यार्थी: प्रो.अवस्थी

गोरखपुर: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय में शरीर रचना विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डॉ एचएच अवस्थी ने कहा कि लक्ष्यहीन जीवन व्यर्थ होता है। हमें रुचि के अनुसार लक्ष्य निर्धारण करना चाहिए। विद्यार्थी लक्ष्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर, आत्मविश्वास, तीव्र इच्छाशक्ति आदि गुणों के साथ आगे बढ़ें।

प्रो. अवस्थी महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के तहत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेस (आयुर्वेद कॉलेज) में चल रहे बीएएमएस के नवप्रवेशी विद्यार्थियों के 15 दिवसीय दीक्षा पाठ्यचर्या (ट्रांजिशनल करिकुलम) के सातवें दिन (मंगलवार) के द्वितीय सत्र को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। ‘जीवन लक्ष्य निर्धारण’ विषय पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि बिना लक्ष्य निर्धारित किए उसका मार्ग भी निर्धारित नहीं हो सकता।

आयुर्वेद के विद्यार्थियों को शरीर रचना का ज्ञान आवश्यक

प्रो. अवस्थी ने कहा कि आयुर्वेद के विद्यार्थियों को शरीर रचना विज्ञान का ज्ञान बहुत आवश्यक है। मानव शरीर के विभिन्न हिस्सों की संरचना, आकार और स्थान का ज्ञान प्राप्त कर चिकित्सा में सफलता प्राप्त कर सकतें है। धर्म, अर्थ, काम इन पुरूषार्थ की प्राप्ति का साधन शारीर है और इसका मूल आरोग्य है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में रोजगार के बहुत से विकल्प हैं जैसे परामर्श चिकित्सक, शोधकर्ता, शिक्षक, औषधि निर्माणकर्ता आदि क्षेत्रों में अपनी रुचि के अनुसार आगे बढ़कर खुद भी रोजगार प्राप्त कर सकते है साथ ही और लोगों को भी रोजगार दे सकतें है।

प्राथमिक उपचार में रखें संक्रमण न होने का ध्यान : डॉ. रेड्डी

इसके पूर्व प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. किरण कुमार रेड्डी, शल्य विभाग, महंत दिग्विजयनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय ने फर्स्ट एड (प्राथमिक चिकित्सा) विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि प्राथमिक उपचार का उपयोग किसी भी घायल या बीमार व्यक्ति को अस्पताल तक पंहुचाने से पहले उसकी जान बचाने के लिए करते हैं। उन्होंने प्राथमिक उपचार के सात चरणों की विस्तार से जानकारी दी और कहा कि इस बात का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए कि आपको घायल व्यक्ति से किसी भी प्रकार का संक्रमण न हो और आपसे भी किसी प्रकार का संक्रमण उस घायल व्यक्ति को न हो।

विश्वविद्यालय व आयुर्वेद कॉलेज को श्रेष्ठतम संस्थान बनाना उद्देश्य: डॉ. प्रदीप राव

चतुर्थ सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव ने कहा कि हमारी प्रायोजक संस्था गोरखनाथ मंदिर है। इस मंदिर से जुड़े नाथ परम्परा के योगी मात्र आध्यात्मिक परम्परा से ही नहीं बल्की शैक्षिक, समाजिक, संस्कृतिक, धार्मिक और राष्ट्र के उत्थान में अपना अहम योगदान दिये हैं। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के बीज से विस्तारित 50 से अधिक संस्थाएं और आयुर्वेद कॉलेज समेत यह विश्वविद्यालय इसका मूर्तमान उदाहरण है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद और नाथ सम्प्रदाय से जुड़े योगियों और व्यक्तियों के लिए राष्ट्रहित एवं लोक कल्याण सर्वप्रथम है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्धेश्य महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय एवं आयुर्वेद कालेज को श्रेष्ठतम संस्थान के रूप में स्थापित करना है। डॉ राव ने धर्म, संस्कृति, उपासना, जीवन पद्धति आदि की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि सनातन या हिंदू धर्म वास्तव में एक जीवन पद्धति है। सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा है। संसार में मात्र हिंदू धर्म है, बाकी सभी उपासना पद्धतियां हैं।

इसके अलावा एक अन्य सत्र में वदतु संस्कृतम् के कार्यशाला में सह-आचार्य साध्वी नन्दन पाण्डेय ने विद्यार्थियों को संस्कृत गीत, अव्यय पदों, द्वितीया विभक्ति, संस्कृत में समय बताने का ज्ञान कराया। पांचवें सत्र में बीएएमएस नये सत्र के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा गीत, गायन, कविता पाठ, भाषण आदि की प्रस्तुतियों से प्रतिभा का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य, डॉ. मंजूनाथ एनएस सहित कालेज के सभी शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।


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