विधि का विधान

रायपुर। जनता से रिश्ता के राजनांदगांव पाठक रोशन साहू ने कविता ई-मेल किया है. जो मोखला का निवासी है.

विधि के लिखे विधान परे,कुछ हुआ और ना होता है।।
वश में प्रकृति न परिस्थितियाँ ,वश में प्रेम ना होता है।
शुभ परिणय बेला राजतिलक,शोध नक्षत्र ग्रह तारे थे।
गृहस्थ सुख भाग्य न हों,वन-वन भटकना होता है।।
जिनसे आह्वान महामृत्युंजय,सती मरण न टाल सके।
ना ही राम का जीवन बदला,कृष्ण काल न टाल सके।।
सर्व समर्थ तेग अर्जुन गुरु गोविन्द विधि सम्मुख नत।
रामकृष्ण परमहंस अपना,कर्क व्याधि ना टाल सके।।
जन्म मरण का मुहूर्त न होता,तर्कों में मन भरमाता।
जन्म संग प्राणी हानि-लाभ,यश-अपयश भी लाता ।।
मिलन-बिछुड़न सुख-दुख,विधी सभी ललाट लिखे।
रंग रूप परिवार समाज संग,जीवन-मरण भी पाता।।
बल बुद्धि प्रज्ञा विवेक लब्ध,मानव सर्वोत्कृष्ट रचना ।
पूर्णता की परिभाषा उनसे,सर्वथा पूर्ण सब संरचना।।
निश्चय दयानिधान हैं वो,कुपित कदाचित होते होंगे।
विधि विधान न खण्डित हों,भूल से सदा-सदा बचना ।।