बाजारों में मुस्कुराहट का परिदृश्य

इस समय दीपावली त्योहार से देश के शहरी और ग्रामीण बाजारों में शुरू हुआ बढ़ती मांग का परिदृश्य लगातार आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। इस समय देश की कंपनियों का मुनाफा भी बढ़ गया है। घरेलू निवेशकों के दम पर शेयर बाजार लगातार बढ़ रहा है। देश में रोजमर्रा के उपयोग के सामान (एफएमसीजी) की मांग में भी वृद्धि हो रही है। देश में महंगाई पर नियंत्रण बाजारों में मुस्कुराहट का प्रमुख कारण है। यकीनन यह कोई छोटी बात नहीं है कि इन दिनों वैश्विक खाद्यान्न संकट से वैश्विक महंगाई बढ़ी हुई है और दुनिया के बाजार ढहते हुए दिखाई दे रहे हैं, वहीं ऐसी प्रतिकूलताओं के बीच भी भारत के बाजारों में रौनक दिखाई दे रही है। गौरतलब है कि अक्टूबर 2023 में प्रकाशित केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक थोक एवं खुदरा महंगाई के सूचकांक महंगाई में कमी का संकेत दे रहे हैं। हाल ही में प्रकाशित थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2023 में थोक मुद्रास्फीति दर लगातार छठे महीने शून्य से नीचे घटकर सितंबर में .0.26 प्रतिशत दर्ज की गई। अगस्त महीने में थोक महंगाई दर पांच महीने के उच्च स्तर .0.52 फीसदी पर पहुंच गई थी। माह सितंबर में रासायनिक उत्पादों, खनिज तेल, कपड़ा, बुनियादी धातुओं और खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट थोक महंगाई के कम होने का प्रमुख कारण है। ज्ञातव्य है कि थोक मूल्य सूचकांक थोक में बेचे और कारोबार किए गए सामानों की कीमतों में बदलाव का मूल्यांकन करता है। इसी तरह देश में खुदरा महंगाई में भी कमी आई है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अनुसार जुलाई 2023 में जो खुदरा महंगाई दर 15 महीने के उच्चतम स्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, वह अगस्त 2023 में घटकर 6.8 फीसदी और सितंबर में 5.02 फीसदी के स्तर पर आ गई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में यह कमी इस बात सूचकांक से तय होने वाली इस दर में अनाज, सब्जी, परिधान, फुटवियर, आवास एवं सेवाओं की कीमतों में आई गिरावट की वजह से हुई है। साथ ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की मुठ्ठियों में सरकारी योजनाओं का अधिक पैसा आया है। लेकिन महंगाई की आशंका के मद्देनजर सरकार महंगाई नियंत्रण के लिए रणनीतिक कवायद करते हुए दिखाई दे रही है। 6 नवंबर को केंद्र सरकार ने भारत आटा नाम ब्रांड से देशभर में 27.50 रुपए प्रति किलोग्राम की दर पर गेहूं के आटे की ब्रिकी शुरू कर दी है। 28 अक्टूबर को महंगाई रोकने के मद्देनजर केंद्र सरकार ने वायदा कारोबार पर अंकुश के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इसके तहत सेबी ने सात तरह की एग्री कमोडिटी के वायदा कारोबार पर पाबंदी को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। इनमें गेहूं, सरसों, चना और मूंग जैसे अनाजों के साथ ही तिलहन में सोयाबीन, क्रूड पाम (सीपीओ) के साथ गैर बासमती ट्रेडिंग शामिल है। इन सभी एग्री कमोडिटी के वायदा कारोबार पर दिसंबर 2024 तक पाबंदी जारी रहेगी। अभी दिसंबर 2023 में पिछले आदेश के अनुसार प्रतिबंध खत्म हो रहा था। उल्लेखनीय है कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई कोविड के दौर में तेजी से बढ़ी थी। इसके बाद सरकार ने सोयाबीन के बाद गेहूं, चना और अन्य तेल के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार का उद्देश्य वायदा कारोबार में मनमानी तेजी-मंदी को रोककर हाजिर बाजार में स्थिरता लाना है। इसी तरह देशभर में प्याज की आपूर्ति में कमी के कारण प्याज के खुदरा मूल्य के ऊंचाई पर पहुंचने के मद्देनजर 28 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने प्याज के बढ़ते मूल्य पर अंकुश लगाने और घरेलू बाजार में पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने के लिए प्याज पर न्यूनतम निर्यात मूल्य तय कर दिया है। अब 800 डालर प्रति टन से कम मूल्य पर प्याज का निर्यात नहीं किया जा सकेगा। यह न्यूनतम निर्यात मूल्य 31 दिसंबर 2023 तक के लिए तय किया गया है।
सरकार ने कीमतों पर अंकुश के लिए बफर स्टाक से कम मूल्यों पर प्याज की खुदरा बिक्री भी बढ़ा दी है। केंद्र सरकार ने बफर के लिए अतिरिक्त 2 लाख टन प्याज की खरीद की भी घोषणा की है। गौरतलब है कि सरकार महंगाई नियंत्रण के लिए मौद्रिक आयात नियंत्रण और स्टॉक सीमा निर्धारण के उपायों को भी अपना रही है। 6 अक्टूबर को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगातार चौथी बार नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय लिया है। खुदरा महंगाई के तय दायरे से अधिक होने के कारण रिजर्व बैंक ने यह फैसला लिया है। वस्तुत: रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आरबीआई से ऋण लेते हैं। जब महंगाई ज्यादा होती है तो आरबीआई रेपो रेट बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में मुद्रा प्रवाह को कम करने की रणनीति अपनाता है। आरबीआई के रेपो रेट स्थिर रखने के फैसले से फिलहाल मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कोई बदलाव नहीं होगा और महंगाई में नरमी आएगी।
केंद्र सरकार ने विगत 29 अगस्त को घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के दाम 200 रुपए घटाकर भी बड़ी राहत दी है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि देश में खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार और आरबीआई कई प्रयासों के साथ आगे बढ़े हैं। केंद्र सरकार के द्वारा खाद्य पदार्थों के निर्यात पर लगातार सख्ती बरती जा रही है। पिछले साल 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद कम उत्पादन के कारण गेहूं के निर्यात पर जो पाबंदी लगाई थी, वह अब तक जारी है। सरकार ने बासमती चावल के निर्यात के लिए 1200 डॉलर प्रति टन को न्यूनतम मूल्य तय किया है। प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया है। सरकार ने उबले चावल के निर्यात पर भी 20 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है। गेहूं और चावल की बढ़ती कीमतों को काबू करने की कोशिश में सरकार जुटी हुई है। इसलिए सरकार ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के जरिए रियायती दर पर गेहूं और चावल दोनों बेच रही है। निश्चित रूप से दीपावली त्योहार से जो बाजार मांग वृद्धि शुरू हुई है, वह आगे भी बनी रहने की अनुकूलताएं उभरकर दिखाई दे रही हैं। पर यह जरूरी होगा कि देश में जमाखोरी करने वालों के खिलाफ तेज कार्रवाई जारी रहे। अतिरिक्त नकदी की निकासी पर रिजर्व बैंक को ध्यान देना होगा। आवश्यक खाद्य पदार्थों के उपयुक्त रूप से आयात की रणनीति से मजबूत आपूर्ति से खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जाना होगा। खास तौर से खाद्य सामग्रियों की महंगाई नियंत्रण के लिए नई कारगर रणनीति के तहत सरकार और रिजर्व बैंक को कीमत निर्धारण से जुड़ी विभिन्न एजेंसियों के साथ सामंजस्य से आगे बढऩा होगा। महंगाई नियंत्रण बहुत जरूरी है।
डा. जयंती लाल भंडारी
विख्यात अर्थशास्त्री
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