नोटबंदी पर स�?प�?रीम कोर�?ट का फैसला इस कदम को बरकरार रखने के तौर पर नहीं देखा जा सकता: माकपा

नई दिल�?ली (आई�?�?न�?स)| नोटबंदी पर स�?प�?रीम कोर�?ट के फैसले पर प�?रतिक�?रिया व�?यक�?त करते ह�?�? माकपा ने सोमवार को कहा कि पांच सदस�?यीय संविधान पीठ के फैसले की व�?याख�?या इस कदम को ‘बना�? रखने’ के तौर पर नहीं की जा सकती। दरअसल, स�?प�?रीम कोर�?ट की 500 और 1000 के नोट बंद करने के फैसला को सही बताया। जस�?टिस अब�?द�?ल नजीर की अध�?यक�?षता वाली 5 जजों की बेंच में 4 जजों ने पक�?ष में फैसला स�?नाया, लेकिन जस�?टिस बीवी नागरत�?ना ने फैसले पर असहमति व�?यक�?त की। उन�?होंने कहा कि नोटबंदी कानून के माध�?यम से होने चाहि�? थी।
सीपीआई (�?म) के पोलित ब�?यूरो ने �?क बयान में कहा, इस मामले में निर�?णय केंद�?र सरकार द�?वारा लिया गया था, जिसने आरबीआई की राय मांगी थी। इसलि�?, इस फैसले को लागू करने से पहले संसद की मंजूरी लेनी चाहि�? थी।
पार�?टी ने कहा कि बह�?मत के फैसले में कहा गया है कि नोटबंदी का उन उद�?देश�?यों के साथ उचित संबंध था जिसे हासिल करने की कोशिश की गई थी और यह प�?रासंगिक नहीं है कि उद�?देश�?य हासिल किया गया था या नहीं।
पार�?टी ने कहा कि इस तरह का फैसला लेने के सरकार के कानूनी अधिकार को बरकरार रखते ह�?�? यह बह�?मत का फैसला इस तरह के फैसले के प�?रभाव के बारे में क�?छ नहीं कहता है। नोटबंदी के कारण करोड़ों लोगों को रोजगार देने वाली भारत की अनौपचारिक अर�?थव�?यवस�?था तबाह हो गई। छोटे पैमाने के औद�?योगिक क�?षेत�?र, �?म�?स�?मई को पंग�? बना दिया, जिससे करोड़ों लोगों की आजीविका नष�?ट हो गई। रिपोर�?ट में कहा गया है कि 2016 में फैसले के बाद से �?क महीने के अंदर 82 लोगों की जान चली गई।
सीपीआई (�?म) ने कहा, काले धन का पता लगाने और इसे विदेशी बैंकों से वापस लाने, नकली म�?द�?रा को समाप�?त करने, टेरर फंडिंग को समाप�?त करने, भ�?रष�?टाचार को मिटाने और अर�?थव�?यवस�?था में कैश की निर�?भरता को कम करने के उद�?देश�?य से लि�? गया इस निर�?णय से क�?छ भी हासिल नहीं हो सका है। इसके विपरीत, आरबीआई के अन�?सार नोटबंदी की पूर�?व संध�?या पर जनता के पास म�?द�?रा 17.7 लाख करोड़ र�?पये से बढ़कर अब 30.88 लाख करोड़ र�?पये हो गई है, यानी 71.84 प�?रतिशत की वृद�?धि ह�?ई है।
सीपीआई (�?म) ने कहा कि सर�?वोच�?च न�?यायालय का बह�?मत का फैसला केवल इस तरह के निर�?णय लेने के सरकार के अधिकार को बरकरार रखता है और किसी भी तरह से इस तरह के फैसले के परिणामों का समर�?थन नहीं करता है।
