पूर्व अधीक्षक का नहीं लिया गया योगदान, वापस लौटे

झारखण्ड | एसएनएमएसमीएच के पूर्व अधीक्षक डॉ एके बरनवाल मंगलवार को योगदान देने प्राचार्य कार्यालय पहुंचे। हालांकि प्राचार्य डॉ ज्योति रंजन प्रसाद ने उनका योगदान स्वीकार नहीं किया। यह कह कर उन्हें मना कर दिया गया कि इसको लेकर अभी तक सरकार का कोई आदेश नहीं मिला है। डॉ बरनवाल के पास उनके वर्तमान पदस्थापन स्थल दुमका मेडिकल कॉलेज से विरमित होने का भी आदेश नहीं था।
बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री के आदेश पर पूर्व अधीक्षक सह सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ बरनवाल का तबादला दुमका मेडिकल कॉलेज कर दिया था। उन्होंने सरकार के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने डॉ बरनवाल के पक्ष में फैसला देते हुए उनके तबादले के सरकारी आदेश को रद्द कर दिया था। हालांकि कोर्ट के इस फैसले के बाद धनबाद मेडिकल कॉलेज या अस्पताल प्रबंधन को अभी तक सरकार से कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। इसी बीच डॉ बरवाल मेडिकल कॉलेज पहुंचे और कोर्ट के आदेश के आधार पर प्राचार्य को योगदान देने के लिए आवेदन दिया। यहां उनका आवेदन स्वीकार नहीं किया गया। प्राचार्य डॉ ज्योति रंजन प्रसाद के अनुसार अभी तक मेडिकल कॉलेज को विभाग का नोटिफिकेशन प्राप्त नहीं हुआ है। इसके कारण उनका योगदान नहीं लिया गया।
सरकार के आदेश के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।
न्यू मधुबन कोल वाशरी की प्री टेस्टिंग

बीसीसीएल की महत्वाकांक्षी परियोजना न्यू मधुबन कोल वाशरी से अब कोयले की धुलाई जल्द शुरू होगी। मंगलवार को प्री टेस्टिंग हुई। कोयला को कन्वेयर बेल्ट से होते हुए वाशिंग पॉन्ड तक ले जाने की टेस्टिंग की गई। ट्रायल के दौरान हॉपर से कोयला कंवेयर बेल्ट से सीधे वाशरी के अंदर निर्मित लोडिंग एरिया में डंप किया गया।
5 मिलियन टन प्रति वर्ष की क्षमता वाली न्यू मधुबन कोल वाशरी में होपर के ट्रायल के बाद कोयला आपूर्ति में तेजी आने की संभावना है। ट्रायल के दौरान मौजूद वाशरी डीवीजन के जीएम स्वरूप कुमार दत्ता ने बताया कि हॉपर से कोयला आपूर्ति का ट्रायल सफल रहा। अब जल्द ही इसे मुख्य धारा में लाकर साइडिंग में कोयला की निर्बाध आपूर्ति की जा सकती है। मौके पर ब्लॉक दो क्षेत्र के जीएम चितरंजन कुमार, वाशरी के पीओ राजेश कुमार, गौरव कुमार, पवन बरसारा, आतिफ इकबाल एचईसी के सीनियर डीजीएम आर के मोहन आदि थे।
मालूम हो कि मधुबन वाशरी तय समय से काफी देर बाद शुरू हो रही है। करीब 273 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित उक्त वाशरी को लेकर कोयला मंत्रालय काफी गंभीर है।