नगला कोल्हू से कूड़े का पहाड़ हटाने के लिए चल रहा सर्वे

मथुरा: अगर आपको दिल्ली के गाजीपुर की तरह कूड़े का पहाड़ देखना है तो आपको कहीं और जाने की जरूरत नहीं है. यमुनापार स्थित नगला कोल्हू में कूड़े का कुछ ऐसा ही पहाड़ आपको देखने को मिल सकता है. दो दशक से महानगर के एकत्र हो रहे कूड़े का यहां अरबों रुपये की करीब आठ एकड़ जमीन पर विशालकाय पहाड़ तैयार हो चुका है. कूड़े का वजन कितना होगा? इसके निस्तारण में कितना वक्त लगेगा? इसके लिए फिलहाल सर्वे चल रहा है. एक प्लांट भी लगा दिया गया है. दूसरा प्लांट भी जल्द शुरु होने जा रहा है. निस्तारण में कब तक कामयाबी मिलेगी? फिलहाल यह सवाल एक पहेली बना हुआ है.
यमुनापार (लक्ष्मी नगर) स्थित नगला कोल्हू कभी शहर का बाहरी इलाका माना जाता था. यहां पर अरबों रुपये की नगर पालिका की जमीन भी है. यही वजह रही कि इसे डंपिंग ग्राउंड के रूप में प्रयोग में लाया जाने लगा. उस समय यह नहीं सोचा गया कि एक वक्त ऐसा भी आएगा, जब इस कूड़े का निस्तारण भी करना होगा. करीब एक दशक पूर्व नगर पालिका परिषद द्वारा कूड़े के निस्तारण के लिए नगला कोल्हू में एक प्लांट भी लगाया गया, जो चलने से पहले ही बंद हो गया. उसके बाद नगर निगम का गठन हुआ तो कूड़े का लोड बढ़कर तीन गुना और बढ़ गया.

इस प्लांट के शुरु होने के बाद नगर निगम की नजर कूड़े के पहाड़ पर पड़ी. एक आंकलन लगाया गया तो पता चला कि यहां करीब आठ एकड़ में चार लाख मिट्रिक टन से अधिक कूड़े का विशालकाय पहाड़ है. हालत, ये ही कि हवा का रुख जिस तरफ होता है, उस तरफ ही दुर्गंध फैलने लगती है. इससे लोगों का सांस लेना भी दूभर हो रहा है. इसके चलते कूड़े के इस पहाड़ को साफ करने की प्लानिंग की गयी. दिल्ली की दयाचरन नामक कंपनी से यहां प्लांट एक प्लांट भी लगवाया गया, जो दो माह पूर्व शुरु हुआ है. इस प्लांट पर रोजाना 500 मिट्रिक टन कूड़े का निस्तारण हो रहा है. कूड़े के पहाड़ को देखते हुए यह निस्तारण बेहद कम है. यही वजह है कि एक और प्लांट लगाया जा रहा है, ताकि निस्तारण में तेजी आए. नगर निगम ने एक साल का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें दो माह निकल चुके हैं.