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जावित्री प्रकृति का दिया हुआ वह वरदान है जिसका उपयोग ओषधि के रूप में भी किया जाता है। तभी तो यह हमरे रसोई घर में आसानी से मिल जाती है। इसमें पौष्टिकता के साथ प्रोटीन और फाइबर बहुत ही अधिक मात्रा में पाया जाता है। जावित्री रंग में लाल पीली और स्वाद में तीखी और ख़ुश्बूदार होती है। घाव हो जाने पर ही इसका ही सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। जावित्री में विटामिन और मिनरल्स की मात्रा पायी जाती है जो की शरीर के लिए फायदेमंद होती है। आइये जानते इसके और भी फायदों के बारे में
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यह गुर्दो की पथरी बनने से रोकती है और अगर बन जाये तो उसे पेट से निकालने में मदद भी करती है।
जावित्री में आयरन,मैग्नीशियम,कैल्सियम की मात्रा बहुत अधिक पायी जाती है जो शरीर के लिए फायदेमंद होती है।
यह सर्दी खांसी की समस्या को भी दूर करती है। इसके सेवन से गले में कफ नहीं बन पाता है।
जावित्री को तुलसी के पत्तो के साथ उबालकर पीने से दस्त की समस्या को दूर किया जा सकता है, और इसी के साथ यह जी मिचलाने की परेशानी को दूर करती है।
इसके सेवन से लिवर से संबंधित बीमारिया भी नहीं हो पाती है, और मोतीझरे की समस्या से परेशान व्यक्ति को भी राहत दिलाने का कार्य करती है।
जावित्री के उपयोग से दांतो से संबंधित जैसे सड़न, बदबू, और दांतो में पीलेपन आदि की समस्या से भी राहत दिलाती है।