छह महीने हो गए, पर नहीं चली पठानकोट-कांगड़ा रेल

कांगड़ा। भारत में रेल सुविधाओं के बड़े-बड़े दावों के बीच कांगड़ा घाटी के बाशिंदे पिछले छह महीने से रेल सेवा से महरूम हंै। देश में बेहतर रेल नेटवर्क के दावे करने वाली केंद्र सरकार हिमाचल के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। कहां बुलेट ट्रेन के सपने नित नई वंदे भारत की घोषणा हिमाचल के जख्मों पर नमक छिडक़ने के बराबर है। हर मंच पर हिमाचल को अपना घर बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य की पूरी तरह अनदेखी कर रहे हैं। हिमाचल के अंब में ‘वंदे भारत’ ट्रेन तो पहुंच गई लेकिन कांगड़ा के यात्रियों को नैरोगेज पटरी पर रेंगने वाली रेलगाड़ी का अभी भी इंतजार है। दरअसल रेलवे विभाग पठानकोट-जोगिंदरनगर रेलवे लाइन को लेकर गंभीर नहीं है। नतीजतन यह रूट छह महीने से बंद पड़ा है। पहले चक्की पुल के दो पिल्लर ध्वस्त होने की वजह से पठानकोट से ट्रेन बंद थी फिर पूरा रूट ही बंद कर दिया। यात्रियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि रेलवे विभाग इस रेलवे लाइन को दुरुस्त करने के लिए संजीदा नहीं है।

पिछले दिनों उपायुक्त कार्यालय कांगड़ा में हुई बैठक में यह दिलासा दिया गया था कि नवंबर के प्रथम सप्ताह में नूरपुर से बैजनाथ तक ट्रेन चला दी जाएगी लेकिन सब धरा का धरा रह गया। यह रेलवे ट्रैक पिछले 18 जुलाई 2023 से बंद पड़ा है। ग्रामीणों व स्कूली छात्रों को चार गुना किराया देकर बसों में यात्रा करनी पड़ रही है। अधिकांश ग्रामीण तो ऐसे हैं जो इस रेल पर ही निर्भर हैं, लेकिन ट्रेन न चलने की वजह से उन्हें मुश्किलें आ रही हैं। यात्रियों का कहना है कि रेलवे महकमा साल भर रेल पटरी को दुरुस्त करने के लिए कार्य करता रहता है, लेकिन आउटपुट कुछ नहीं है।