पुराने चेहरे पर दांव लगाकर घोसी सीट बचाने की जुगत में सपा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले पूर्वांचल की घोसी सीट पर विधानसभा का उपचुनाव होने जा रहा है। सपा के विधायक दारा सिंह के पाला बदलकर भाजपा में जाने के बाद इस सीट पर चुनाव हो रहा है। सपा ने एक बार यहां से 2012 में विधायक रहे सुधाकर सिंह पर दांव लगाया है। अभी तक भाजपा की तरफ से घोसी विधानसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई है।
राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि इनकी तरफ से दारा सिंह चौहान को मैदान में उतारा जाएगा। दरअसल 2022 में सपा ने भाजपा छोड़ कर आए दारा सिंह चौहान को घोसी सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था। वह चुनाव जीत गए, लेकिन वह ज्याद दिन सपा में नहीं टिके। वह सपा से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए हैं।
उन्होंने विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे से रिक्त घोसी सीट पर पांच सितंबर को उप चुनाव होगा। चुनावी आंकड़ों की मानें तो सपा नेता सुधाकर सिंह पहले भी दो बार विधायक रह चुके हैं। वह 1996 में नत्थूपुर विधानसभा से विधायक चुने गए थे। 2012 में परिसीमन के बाद नत्थूपुर विधानसभा सीट का नाम घोसी कर दिया गया। साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में घोसी सीट से सुधाकर सिंह एक बार फिर विधायक बने। लेकिन 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में घोसी सीट से सुधाकर सिंह चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन उन्हें भाजपा के फागू चौहान ने हरा दिया था। 2019 में फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाया गया तो घोसी विधानसभा सीट खाली हो गई और यहां उपचुनाव हुए। इस उपचुनाव में सुधाकर सिंह को सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण सिंबल नहीं मिला जिसके बाद वह निर्दलीय उम्मीदवार बने। वह भाजपा के विजय राजभर से हार गए।
2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान सुधाकर सिंह को सपा ने घोषी सीट की जगह मधुबन सीट से उतारा, लेकिन बाद में सुधाकर सिंह का टिकट काटकर उमेश चंद पांडेय को प्रत्याशी बनाया गया। एक बार सपा ने उन पर भरोसा कर 2023 में अपना उम्मीदवार बनाया है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अमोदकान्त कहते हैं कि घोसी उप चुनाव में सपा और भाजपा दोनों की परीक्षा है। सपा को साबित करना होगा कि राजभर और दारा सिंह का साथ छूटने के बाद उनका वोटर में कितना प्रभाव है। भाजपा के लिए भी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
उन्होंने बताया कि इस विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के साथ ही यादव, राजभर, चौहान व मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है और यह चुनाव परिणाम में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ऐसे में सपा के पीडीए का पहला इम्तिहान भी यहीं से होगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी चन्द्रशेखर ने बताया कि पांच सितंबर को मतदान और आठ सितंबर को मतगणना होगी।


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