मोहम्मद जिन्ना की बहन Fatima Jinna पर बनाई जाएगी वेब सीरीज, जनाजे पर फेंके गए थे पत्थर, जाने क्या होगा सीरीज का नाम

सनी देओल और अमीषा पटेल की फिल्म ‘गदर 2’ (Gadar 2) एक तरफ जहां भारत में हंगामा मचा रही है, वहीं दूसरी तरफ आजादी के इस हफ्ते में पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। दरअसल, जल्द ही पाकिस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना की बायोग्राफी रिलीज होने वाली है, जिसे लेकर लोग काफी उत्साहित हैं। फातिमा जिन्ना के जीवन पर आधारित इस सीरीज का नाम ‘फातिमा जिन्ना: सिस्टर, रिवोल्यूशन, स्टेट्समैन’ (Fatimajinnah: सिस्टर, रिवोल्यूशन, स्टेट्समैन) होगा, यह सीरीज पाकिस्तानी ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘और डॉट डिजिटल’ पर रिलीज होगी। 14 अगस्त को रिलीज होने वाली इस सीरीज में फातिमा की विवादों से भरी जिंदगी को दर्शाया जाएगा। हाल ही में इस सीरीज का प्रोलॉग वीडियो रिलीज किया गया है, जिसे देखने के बाद सीरीज को लेकर दर्शकों का उत्साह सातवें आसमान पर पहुंच गया है। इस रिपोर्ट में जानिए कौन थीं फातिमा जिन्ना, जिनके जनाजे पर भी पथराव हुआ था।
मोहम्मद अली जिन्ना की बहन होने के अलावा, फातिमा जिन्ना विभाजन पूर्व भारत में दंत चिकित्सक की पढ़ाई करने वाली पहली महिला थीं। उस वक्त फातिमा ने अपना क्लिनिक भी खोला था। 30 जुलाई 1893 को जन्मी फातिमा जिन्ना ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई के बांद्रा में की और फिर कलकत्ता से डेंटिस्ट की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने मुंबई में अपना डेंटल क्लीनिक खोला। फातिमा जिन्ना एक सशक्त महिला थीं और अक्सर महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाती रहती थीं। इतना ही नहीं उन्होंने अपने भाई मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मिलकर पाकिस्तान के निर्माण में अहम योगदान दिया था। इसी कारण विभाजन के बाद पाकिस्तान में फातिमा को ‘मदर-ए-मिल्लत (राष्ट्रमाता)’ और ‘खातून-ए-पाकिस्तान’ जैसी उपाधियों से भी सम्मानित किया गया। हालाँकि, जब 9 जुलाई, 1967 को फातिमा की मृत्यु हो गई, तो बहुत हंगामा हुआ। इतना ही नहीं फातिमा के जनाजे में जहां सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, वहीं एक शख्स की जान चली गई।
11 सितंबर 1948 को भाई मोहम्मद अली जिन्ना की मौत के बाद फातिमा को पाकिस्तान की राजनीति से दूर रखने की तमाम कोशिशें की गईं, यहां तक कि उन्हें जिन्ना की बरसी पर भाषण देने से भी हमेशा रोका गया। क्योंकि हुकरान फातिमा के सामने शर्त रखता था कि फातिमा को वह भाषण उनके साथ साझा करना होगा, जो वह जनता को सुनाना चाहती है, लेकिन फातिमा को शासकों की यह शर्त मंजूर नहीं थी। जब फातिमा को अपने भाई की तीसरी बरसी पर भाषण देने का मौका मिला। लेकिन इस दौरान जैसे ही उनकी बारी आई और फातिमा ने बोलना शुरू किया तो अचानक रेडियो प्रसारण बंद हो गया। सरकार की यह चाल लोगों को नागवार गुजरी।
9 जुलाई 1967 को फातिमा जिन्ना ने दुनिया को अलविदा कह दिया, उनके जनाजे में भारी संख्या में लोग जुटे। हर कोई फातिमा को श्रद्धांजलि देना चाहता था और यही कारण था कि कुछ लोगों ने शव को दफनाने से पहले फातिमा का चेहरा देखने की अपील की, लेकिन शासकों ने उनकी बात नहीं सुनी और पुलिस ने उन्हें पीछे धकेल दिया। इससे भीड़ भड़क गई और उन्होंने पुलिस पर पथराव कर दिया। इस घटना में भगदड़ मच गई, जिसमें एक व्यक्ति की जान चली गई. इस मामले को लेकर तत्कालीन नेता अयूब खान पर आरोप लगे, लेकिन मामले की कोई जांच नहीं हुई।


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