नदी का पानी नालों से लौटने के कारण होता है जलभराव

उत्तरप्रदेश | तेज बारिश में जल भराव का कारण नदी का जलस्तर बढ़ने पर नालों से वापस लौटना (बैक फ्लो) है. इसके अलावा नाले के आसपास अतिक्रमण भी ड्रेनेज व्यवस्था में बाधा है. एलडीए, नगर निगम, सिंचाई विभाग, पीडब्ल्यूडी और राजकीय निर्माण निगम की टीम के साथ आईआईटी रुड़की के प्रोफेसरों ने सर्वे शुरू किया तो प्रारंभिक तौर पर इसका खुलासा हुआ.
दरअसल, जल भराव से लखनऊ को निजात दिलाने के लिए ठोस योजना तैयार हो रही है. इसी क्रम में टीम ने हाईकोर्ट से किसान बाजार, हुसड़िया चौराहा, जनेश्वर मिश्र पार्क होते हुए जी-20 रोड पर स्थित गोमती नदी के बैरल नंबर-एक तक निरीक्षण किया. इस संबंध में आईआईटी रुड़की की टीम जल्द ही प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपेगी. इस रिपोर्ट के आधार पर टोपो और ड्रोन सर्वेक्षण कराया जाएगा.
एलडीए उपाध्यक्ष इन्द्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि संयुक्त टीम की ओर से निरीक्षण किया गया. इस दौरान कुछ जगहों पर खामियां पाई गईं, जिनको आईआईटी की टीम ने अपने रिकॉर्ड में दर्ज किया है. रूट सर्वे के बाद प्रोफेसर जुल्फिकार अहमद एवं रिटायर प्रोफेसर एमके मित्तल ने टीम में शामिल अधिकारियों के साथ प्राधिकरण कार्यालय में बैठक कर जलभराव के कारणों पर चर्चा की.
इसमें उपाध्यक्ष ने आईआईटी की टीम से हाईड्रोलॉजिकल अध्ययन, टोपो तथा ड्रोन सर्वे कराकर शहर का इंटीग्रेटेड स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज प्लान तैयार करने के लिए कहा है. आईआईटी की टीम ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार करने के लिए सिंचाई विभाग से गोमती नदी में गिरने वाले नालों तथा अन्य सम्बंधित विभागों से ड्रेन नेटवर्क का विवरण मांगा है.
आईआईटी की टीम को
नालों पर रैम्प, स्लैब मिली
टीम को कई जगह पर मकानों के रैम्प से नाले बंद मिले. कुछ जगहों पर नाले की स्लैब ढही थी. काफी मात्रा में कूड़ा-कचरा डम्प मिला, जिससे जल निकासी बाधित हो रही थी. इसी तरह कुछ स्थानों पर मुख्य ड्रेन से जुड़ने वाले नाले 90 डिग्री एंगल पर कनेक्ट हो रहे थे. इससे पानी के बहाव में रुकावट दिखाई दी.
