
आपके पाठ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, टीएमसी सांसदों, विशेष रूप से महुआ मोइत्रा और पश्चिम बंगाल में भाजपा और टीएमसी के बीच चल रहे संघर्ष से जुड़े कई राजनीतिक आरोपों और कार्यों का उल्लेख किया गया है।

यहाँ एक विश्लेषण है:
टीएमसी सांसदों के खिलाफ आरोप: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कथित तौर पर उपहार और उपहार स्वीकार करके संसद की गरिमा से समझौता करने के लिए टीएमसी सांसदों की आलोचना की। ऐसा लगता है कि यह आलोचना महुआ मोइत्रा और अन्य लोगों पर लक्षित है।
इस्तीफे का आह्वान और राजनीतिक रणनीति: शाह ने 2026 के विधानसभा चुनावों में टीएमसी सरकार के इस्तीफे का आह्वान किया और 2024 के लोकसभा चुनावों में टकराव के लिए मंच तैयार करने का संकेत दिया। यह पश्चिम बंगाल में टीएमसी के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए भाजपा की योजनाबद्ध राजनीतिक रणनीति का संकेत देता है।
महुआ मोइत्रा पर आरोप: महुआ मोइत्रा पर अडानी ग्रुप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए एक बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी के कहने पर संसद में सवाल उठाने के लिए रिश्वत लेने के आरोप हैं. कथित तौर पर भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर के नेतृत्व वाली लोकसभा की आचार समिति ने इन आरोपों के कारण मोइत्रा को सदन से निष्कासित करने की सिफारिश की थी।
मोइत्रा की प्रतिक्रिया: महुआ मोइत्रा ने समिति के फैसले की आलोचना की, इसे एक अनियमित न्यायाधिकरण द्वारा पक्षपातपूर्ण निर्णय करार दिया और इसे संसदीय लोकतंत्र के लिए हानिकारक बताया।
ममता बनर्जी के बयान: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सुझाव दिया कि भाजपा मोइत्रा को संसद से निष्कासित करने की योजना बना रही है, उनका दावा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ऐसी कार्रवाई मोइत्रा के लिए फायदेमंद होगी।
यह स्थिति पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी और विपक्षी भाजपा के बीच तीव्र राजनीतिक झगड़े को दर्शाती है, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप, नैतिक कदाचार और महत्वपूर्ण चुनावों से पहले सत्ता संघर्ष शामिल है।
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