छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति को मिली नई ऊंचाई : अमरजीत भगत

रायपुर। संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा है कि राज्य सरकार के पिछले पौने पांच साल में किए जा रहे विशेष प्रयासों से छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति को नई ऊंचाई मिली है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के लोगों में अपनी संस्कृति के प्रति गौरव का भाव जगाने लिए गए निर्णय दूरगामी साबित हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ की संस्कृति को मान-सम्मान दिलाने का सराहनीय कार्य किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ी पर्वाें पर सार्वजनिक अवकाश के साथ ही खान-पान, कला साहित्य को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस मौके पर मंत्री भगत ने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहराकर सभी से अपने घर तिरंगा फहराने की अपील की।

मंत्री भगत ने कहा कि पहले छत्तीसगढ़ के कला-संस्कृति मंच और कार्यक्रम के लिए तरसते थे, अब छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति एवं परंपरा पर आधारित कार्यक्रमों से छत्तीसगढ़ी भाषा का क्रेज बढ़ा है। इसका उदाहरण आईएएस और आईपीएस अधिकारियों में छत्तीसगढ़ी की ललक देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यहां की लोक-संस्कृति, कला, परपंरा, ऐतिहासिक धरोहरों, पुरखों के सपनों को संजोन, सहेजने के साथ ही मुख्यमंत्री के प्रयास से छत्तीसगढ़ी फिल्म नीति लागू किया। अब छत्तीसगढ़ी फिल्म को उद्योग का दर्जा मिल गया है। यहां के कलाकारों, तकनीशियनों, निर्माता, निर्देशकों को इस क्षेत्र में वृहद रूप से रोजगार उपलब्ध हो रहा है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत छत्तीसगढ़ी फिल्मों को राज्य सरकार द्वारा फिल्म नीति के माध्यम से एक करोड़ से लेकर पांच करोड़ रूपए तक की पुरस्कार राशि देने का प्रावधान किया है।

संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद ने भी राजभाषा आयोग के कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा पर हमें गर्व है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय रामायण महोत्सव से छत्तीसगढ़ आयोध्या मय हो गया था, देश-विदेश के रामायण कला संस्कृति से जुड़े लोग छत्तीसगढ़ी रामायण मानस महोत्सव से अभिभूत हुए।

कार्यक्रम में दुर्गा प्रसाद पारकर द्वारा लिखित पुस्तक ‘निर्मला‘, अरविन्द्र मिश्र द्वारा लिखित ‘‘ममादाई के कहनी‘‘, एक पुस्तक ‘स्वर्गीय कपिल नाथ के आत्मकथा‘ और टिकेश्वर सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘गांव बसे हृदय म‘, नवलदास मानिकपुरी द्वारा लिखित पुस्तक ‘मया के गोठ‘ और अशोक पटेल द्वारा लिखित पुस्तक ‘छत्तीसगढ़ के चिन्हारी‘, श्रीमती धनेश्वरी सोनी द्वारा लिखित ‘जिनगी के किस्सा‘ और हितेश कुमार द्वारा लिखित छत्तीसगढ़ में ‘पतंजली योग सूत्र‘ तथा मुकेश कुमार द्वारा लिखित ‘हाथ के लकीर‘ पुस्तक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर साहित्यकार डॉ. परदेशी राम वर्मा, डॉ. कविता मिश्र और श्री सेवक राम बांधे ने छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास एवं राजकाज में छत्तीसगढ़ी पर व्याख्यान दिया। इस मौके पर राजभाषा आयोग के सचिव डॉ. अनिल भतपहरी सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, कला और संस्कृति से जुड़े विद्यवतजन और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।


R.O. No.12702/2
DPR ADs

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
रुपाली गांगुली ने करवाया फोटोशूट सुरभि चंदना ने करवाया बोल्ड फोटोशूट मौनी रॉय ने बोल्डनेस का तड़का लगाया चांदनी भगवानानी ने किलर पोज दिए क्रॉप में दिखीं मदालसा शर्मा टॉपलेस होकर दिए बोल्ड पोज जहान्वी कपूर का हॉट लुक नरगिस फाखरी का रॉयल लुक निधि शाह का दिखा ग्लैमर लुक