फिलिस्तान के राष्ट्रपति ने दिया बड़ा बयान, जल्द ले सकते है युद्ध पर बड़ा निर्णय

नई दिल्ली। इजरायल-हमास जंग के बीच फिलिस्तीन से जो संदेश आया है, बहुतों के लिए राहत देने वाला है. कई मुल्कों की उलझनें खत्म करने वाला है. जंग को जन्म देने वाले हमलावर हमास को अलग थलग करने वाला है – और अंततः अमन का मार्ग प्रशस्त करने वाला भी लगता है. 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के लड़ाकों ने कुछ ही देर में इजरायल पर अचानक हमला बोल दिया था. हमले में इजरायल के करीब 1300 नागरिकों की मौत हो गई थी, और हजारों की संख्या में लोग घायल हो गये. हमले के साथ ही हमास ने करीब 150 इजरायली नागरिकों को बंधक बना लेने का भी दावा किया था. हमले के बाद, इजरायल की तरफ से हुई कार्रवाई में हमास के 6 कमांडर मारे जा चुके हैं. इजरायली सेना के मुताबिक, 7 अक्टूबर को हमले का नेतृत्व करने वाले हमास कमांडर अली कादी को भी मार गिराया है.

जंग के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि हमास का खात्मा तो जरूरी है, लेकिन गाजा पट्टी पर इजरायल का कब्जा ठीक नहीं होगा. बाइडेन कहते हैं, हमास ने बर्बरतापूर्ण काम किया है… उसका खात्मा जरूरी है, लेकिन फिलिस्तीनी लोगों के लिए भी अपना मुल्क चाहिये… अपनी अलग सरकार होनी चाहिये. भारत का भी पुराना स्टैंड यही रहा है, और ये आज भी कायम है. हमास के हमले को भारत आतंकवादी हमला पहले ही बता चुका है, लेकिन ऐन उसी वक्त फिलिस्तीन और वहां के लोगों के साथ खड़े रहने का भी वादा दोहराया है. फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के बीच फोन पर हुई बातचीत से एक बड़ी बात निकल कर आई है. हालांकि, बातचीत के आधार पर पहले जो बयान सामने आया था, उसमें थोड़ा सुधार भी किया गया है. जो भी, जैसे भी हो – अंत भला तो सब भला कहा जा सकता है.

समाचार एजेंसी WAFA की पहली वाली रिपोर्ट में बताया गया था, ‘राष्ट्रपति का इस बात पर भी जोर था कि हमास की नीतियां और कार्रवाई फिलिस्तीनी लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करते… सिर्फ PLO की नीतियां, कार्यक्रम और फैसले ही फिलिस्तीनी लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और वैध हैं.’ लेकिन कुछ घंटों बाद ही एजेंसी की तरफ से महमूद अब्बास के बयान का नया ड्राफ्ट जारी किया गया, ‘राष्ट्रपति का इस बात पर भी जोर था कि सिर्फ PLO की नीतियां, कार्यक्रम और फैसले ही फिलिस्तीनी लोगों का असली प्रतिनिधित्व करते हैं और वैध हैं, न कि किसी अन्य संगठन की नीतियां.’ फिलिस्तीनी राष्ट्रपति के बयान के दोनों ही ड्राफ्ट में मामूली फर्क है, वो भी सिर्फ शब्दों में. बात एक ही है, भाव एक ही है. दूसरे बयान में बस इतना ही किया गया है कि हमास का नाम हटा दिया गया है. निश्चित तौर पर ये कोई कूटनीतिक कदम ही होगा. हमास का नाम लेने और न लेने में फर्क तो है ही.

हमास को अरबी में हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया के नाम से भी जाना जाता है. ये एक कट्टरपंथी इस्लामी संगठन है, 1987 में पहले इंतिफादा यानी सशस्त्र विद्रोह के दौरान फिलिस्तीनी शरणार्थी शेख अहमद यासीन ने हमास की स्थापना की थी. मुद्दे की बात ये है कि महमूद अब्बास ने PLO यानी फिलिस्तीन लिबरेशन संगठन को ही फिलिस्तीनी लोगों का एकमात्र और वैध प्रतिनिधि बताकर हमास से किनारा कर लिया है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, फिलिस्तीनी राष्ट्रपति अब्बास ने दोनों तरफ के लोगों की हत्या को अस्वीकार कर दिया है, और दोनों ही पक्षों के नागरिकों, कैदियों और बंधक बनाये गये लोगों की रिहाई की अपील भी की है. मतलब अब हमास जो कुछ भी कर रहा है, वो फिलिस्तीन के लिए नहीं बल्कि अपने लिये कर रहा है. अब हमास को किसी तरह का राजनीतिक सपोर्ट नहीं हासिल है. हमास अब सिर्फ और सिर्फ एक आतंकवादी संगठन बन कर रह गया है – और ये बात फिलिस्तीन को लेकर पूरी दुनिया के लिए बेहद अहम है.


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