पार्षद को सहकारी बैंक घोटाले में नहीं मिली जमानत

कोच्चि: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी के ठीक एक महीने बाद त्रिशूर के एक शीर्ष स्थानीय माकपा नेता और 500 करोड़ रुपये से अधिक के करुवन्नूर सेवा सहकारी बैंक ऋण घोटाला मामले में तीसरे आरोपी को शुक्रवार को मामले में जमानत नहीं मिल पाई।

माकपा पार्षद पी.आर. अरविंदाक्षन और पूर्व बैंक अकाउंटेंट सी.के. जिल्स की जमानत का कड़ा विरोध करते हुए ईडी ने यहां पीएमएलए अदालत से कहा कि किसी भी परिस्थिति में उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि इससे जांच प्रभावित होगी।
केंद्रीय एजेंसी ने अपनी दलील मजबूत करते हुये घोटाले में दोनों आरोपियों द्वारा निभाई गई भूमिका के खिलाफ बहुत मजबूत सबूत प्रदान किए, जिसके बाद अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया।
अरविंदाक्षन को जमानत न मिलना माकपा के लिए एक झटका है। ईडी ने वरिष्ठ माकपा विधायक और पूर्व राज्य मंत्री ए.सी. मोइदीन, पूर्व पार्टी विधायक एम.के. कन्नन जैसे पार्टी के शीर्ष नेताओं को अपने रडार पर ले लिया है। केंद्रीय एजेंसी ने कई मौकों पर उनसे पूछताछ की है और ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें इन शीर्ष नेताओं को अरविंदाक्षन के साथ जोड़ने वाले साक्ष्य मिले हैं।
जांच से पता चला है कि कुछ लोगों के निर्देश पर, जो एक “निश्चित” राजनीतिक दल में शीर्ष पदों पर आसीन जिला-स्तरीय नेता और समिति के सदस्य थे, बैंक प्रबंधक द्वारा एजेंट के माध्यम से “गैर-सदस्यों” को नकद में ऋण वितरित किए गए थे। “बेनामी” के तहत गैर-संपन्न व्यक्तियों की संपत्तियों को उनकी जानकारी के बिना गिरवी रखा गया था।
यह बात सामने आई है कि मोइदीन के निर्देश पर कई ‘बेनामी लोन’ बांटे गए। अब जमानत नामंजूर होने के बाद सभी की निगाहें ईडी के अगले कदम पर हैं कि क्या यह मोइदीन और कन्नन को निशाना बनाता है। यदि ऐसा है, तो माकपा के लिए मुश्किलें हो सकती हैं क्योंकि कांग्रेस और भाजपा दोनों कथित तौर पर गलत काम करने वालों को बचाने के लिए पिनाराई विजयन सरकार पर निशाना साध रही हैं।