
लखनऊ: यूपी से आने वाले दिनों में 10 हजार से अधिक निर्माण श्रमिक इजराइल भेजे जाएंगे। श्रम एवं सेवायोजन विभाग ने इसकी पहल शुरू कर दी है। सभी जिलों को इच्छुक कामगारों का डाटा एकत्र करने को कहा गया है। फिर उन्हें एक टेस्ट पास करने के बाद इजराइल भेजा जाएगा। हमास के हमलों के बाद हुए नुकसान की भरपाई के लिए इजराइल को करीब एक लाख कामगारों की जरूरत है। इसके लिए उसने भारत से सहयोग मांगा है। हमास द्वारा हमला किए जाने के बाद इजराइल ने सभी फिलिस्तीनियों के वर्क परमिट निरस्त कर दिए थे। ऐसे में वहां श्रमिकों का खासा संकट पैदा हो गया है। इजराइल के लिए निर्माण क्षेत्र में कई सेक्टरों के लोगों की जरूरत है। इसमें फ्रेमवर्क, शटरिंग, कारपेंटर, आइरन बेंडिंग, सेरेमिक टाइल और प्लास्टरिंग शामिल है।

निर्माण श्रमिकों को एनएसडीसी (नेशनल स्किल डवलपमेंट कारपोरेशन) इंटरनेशनल के जरिए भेजा जाएगा। जाने के इच्छुक लोगों के पास काम का अनुभव होने के साथ ही हाईस्कूल तक शिक्षा भी जरूरी है जबकि आयु सीमा 25 से 45 साल के बीच रखी गई है। जहां तक वेतन का सवाल है तो इजराइल जाने वाले निर्माण श्रमिकों को हर माह 6100 इजराइली न्यू शेकेल करेंसी मिलेगी। इसे यदि भारतीय मुद्रा में देखें तो करीब 1 लाख 38 हजार रुपये होगी। जाने वालों को अपने रहने और चिकित्सा बीमा का पैसा खुद देना होगा।
गुरुवार को श्रमायुक्त मार्कंडेय शाही की अगुवाई में इसे लेकर श्रम और सेवायोजन के सभी जिलों के अधिकारियों की वर्चुअल बैठक की गई। सभी जिलों से इजराइल जाने के इच्छुक और अर्हता रखने वाले निर्माण श्रमिकों का डाटा एकत्रित करने को कहा गया है। फिर एनएसडीसी के जरिए उनका टेस्ट होगा। चयनित होने वालों को प्रशिक्षण देकर इजराइल भेजा जाएगा। वर्चुअल बैठक में विशेष सचिव कुणाल सिल्कू सहित अन्य अधिकारी शामिल रहे।