नर बलि के मामले को मर्डर केस बताया, पुलिस को कोर्ट की लताड़

नई दिल्ली: मेट्रो विहार इलाके में हुई नर बलि के एक मामले को पुलिस ने ड्रग्स विवाद में हत्या का केस बना दिया। मृतक का सिर और दिल दोनों ही गायब थे। मौके से तांत्रिक क्रिया से संबंधित सामग्री भी मिली, लेकिन इस दिशा में जांच ही नहीं की गई। गिरफ्तार किए गए मृतक के तीन साथियों को बरी करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धीरेन्द्र राणा ने जांच अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

14 दिसंबर 2014 को मेट्रो विहार स्थित डी मॉल के पास खाली मैदान से बिना सिर का शव मिला था। छाती की हड्डियां कटी हुई थी। शव के पास एक टोकरी में महिला-पुरुष की नग्न मूर्ति, शहद की खाली बोतल, मिट्टी के घड़े, शराब का क्वार्टर, बांस के डंडे आदि पूजा का सामान मिला था। 17 दिसंबर 2014 को मोहन लाल नामक व्यक्ति ने शव की पहचान अपने बेटे मंजीत के रूप में की। उसने बताया कि बेटा 12 दिसंबर को पार्टी में जाने के लिए निकला था। रात को उन्होंने बेटे को कॉल किया तो उसने बताया कि वह संजय, समीर और नसीम के साथ है।
इसके बाद उससे बात नहीं हो सकी। वह जिन दोस्तों के साथ गया था, वह भी घर से लापता थे। क्राइम ब्रांच ने 26 दिसंबर 2014 को तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में शाहबाद डेरी थाना पुलिस ने अदालत के समक्ष आरोपपत्र दायर किया, जिसमें बताया कि ड्रग्स को लेकर हुए विवाद में आरोपियों ने मंजीत की हत्या की है, परंतु वह ठोस सबूत या गवाह नहीं पेश कर सकी। कोर्ट ने माना कि जांच अधिकारी इंस्पेक्टर संजीव चाहर की लापरवाही के चलते हत्या करने वाला अभी भी आजाद है।