राजस्थान

कालका माता नर्सरी में बना कृषि वानिकी केंद्र

उदयपुर: पिछोला किनारे कालका माता नर्सरी में वन विभाग और शुष्क वन अनुसंधान संस्थान, जोधपुर (जाफरी) के साझे में एग्रो फॉरेस्ट्री रिसर्च सेंटर तैयार किया गया है। पूरी तरह से ऑटोमेटिक इस परिसर में आधुनिक तकनीक से सर्दियों में नीम के 5000 पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इन्हें पाले से भी नुकसान नहीं होगा। मानसून सीजन तक 3 फीट से ऊंचे पौधे मिलेंगे।

नर्सरी के सहायक वनपाल प्रदीप सिंह चौहान ने बताया कि प्लांट्स पॉली हाउस में तैयार किए जा रहे हैं, जहां फव्वारे के जरिए पानी दिया जा रहा है। तापमान नियंत्रित रखने के लिए बड़े-बड़े 4 पंखे लगाए हैं। दरअसल, सर्दी ज्यादा होने पर नीम के बीज अंकुरित नहीं हो पाते और पौधे भी नहीं पनप पाते। पॉली हाउस में सर्दियों में भी तापमान 30 डिग्री तक रहता है। इससे 27 से 30 दिन में अंकुरण के साथ प्लांट को बढ़वार का अच्छा वातावरण मिल जाता है। अब तक पॉलीहाउस नहीं होने से प्लांट तैयार करने की प्रक्रिया फरवरी में शुरू की जाती रही है। इससे मानसून तक इस स्थिति के पौधे नहीं मिल पाते थे, जो सर्वाइव कर लें। अब मानसून सीजन तक 3 से साढ़े 3 फीट तक पौधे मिल जाएंगे। इन बड़े पौधों की डिमांड भी ज्यादा रहती है।
बता दें कि कालका माता नर्सरी में एक साल में करीब 2 लाख पौधे तैयार करने की क्षमता है। एग्रो फॉरेस्ट्री सेंटर में नई तकनीक से ग्रामीणों को बीज और प्लांट तैयार करना भी सिखाया जा रहा है। अब तक दो-तीन प्रशिक्षण शिविर भी लगाए जा चुके हैं। सेंटर का उद्देश्य पेड़ों की उन वैरायटी पर ज्यादा फोकस करना है, जो इस क्षेत्र में उपलब्ध है। इससे उत्पादन के साथ ग्रामीणों की कमाई बढ़ेगी। सेंटर में सीताफल, आंवला, महुआ, अरीठा आदि के पौधे भी तैयार किए जा रहे हैं।

 


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