विवादित भूमि बनी हत्याकांड की वजह

उत्तरप्रदेश | दो मार्च 13 की उस काली भयावह रात की यादें आज भी लोगों में सिहरन पैदा कर देती है. यहां चौराहे की कीमती भूमि प्रधान, उसके भाई और सीओ की हत्या का कारण बनी थी. मामले में तीन महीने से अधिक समय तक यहां पर सीबीआई का डेरा था. इस दौरान करीब एक दर्जन लोग गवाह बनाए गए.
हथिगवां थाना क्षेत्र के बलीपुर गांव 2 मार्च 13 की रात ग्राम प्रधान नन्हें यादव उसके बाद भाई सुरेश के बाद सीओ

जिआउल हक की हत्या से पूरे प्रदेश में राजनीतिक भूचाल आ गया था. घटना को लेकर सपा सरकार में मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया और उनके समर्थकों पर सीओ की हत्या का आरोप लगा तो राजा भैया ने इस्तीफा देकर सीबीआई जांच की मांग की थी.
मृतक परिजनों के घर सांत्वना जताने और आर्थिक मदद देने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी बलीपुर आए थे. 8 मार्च को पहली बार जांच के लिए सीबीआई कुंडा पहुंची तो तीन महीने से अधिक समय तक डटी रही. सीबीआई ने तमाम ग्रामीणों से पूछताछ कर एक दर्जन लोगों को अपना गवाह (आई विटनेस) बनाया. हालांकि नन्हे यादव की हत्या वाले स्थान बलीपुर चौराहे पर दुकानदार अपने सामान्य कामकाज में व्यस्त दिखे.
तीन गवाहों का हो चुका निधन
तिहरे हत्याकांड को लेकर सीबीआई ने एक दर्जन लोगों को गवाह बनाया था. इनमें कई लोगों की गवाही न्यायालय में हो चुकी है. समय बीतने के साथ ही सीबीआई के गवाह रहे चोखेलाल पटेल, शिव मूरत पटेल व भोला पटेल का निधन हो चुका है. जबकि हत्या में आरोपित बनाए गए कामता पाल का भी निधन हो चुका है.
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