सूर्य से निकली लापत की चपेट में है पृथ्वी, तय समय से पहले ही धरती तक पहुंचा कोरोनल मास इजेक्शन

विज्ञान न्यूज़ डेस्क – सूर्य में होने वाली घटनाएँ हमारी पृथ्वी को प्रभावित कर रही हैं। यह सब सौर चक्र के कारण हो रहा है, जो साल 2025 तक जारी रहने वाला है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा पहले ही बता चुकी है कि सौर चक्र के कारण सूर्य में अप्रत्याशित चीजें होती रहेंगी. पृथ्वी पर सौर तूफानों का ख़तरा बढ़ जाएगा. ऐसा ही कुछ हुआ सोमवार रात को, जब एक कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) निर्धारित समय से पहले पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में पहुंच गया। ये सौर प्लाज्मा के बड़े बादल हैं। यदि इनका प्रभाव अत्यधिक हो तो उपग्रहों में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड प्रभावित हो सकता है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमवार रात को शुरू हुए सीएमई ने भू-चुंबकीय तूफान नहीं बनाया, बल्कि अभी जी2 श्रेणी का तूफान चल रहा है।
जैसा कि हमने बताया, कोरोनल मास इजेक्शन सौर प्लाज्मा के बड़े बादल हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में अंतरिक्ष में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने के कारण ये फैलते हैं और अक्सर कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार ये ग्रहों के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं. जब इनकी दिशा पृथ्वी की ओर होती है तो ये भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनके कारण सैटेलाइट में शॉर्ट सर्किट हो सकता है. पावर ग्रिड प्रभावित हो सकता है. यदि इनका प्रभाव गंभीर है तो ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी ख़तरे में डाल सकते हैं।
मौजूदा G2 श्रेणी के तूफान से पृथ्वी पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा। कुछ इलाकों में ऑरोरा देखा गया है. अरोरा घटनाएँ आकाश को रोशन करती हैं। सूर्य से निकलने वाले इस सीएमई पर वैज्ञानिकों की टीम नजर रख रही है. फिलहाल इस सीएमई से पृथ्वी पर कोई खतरा नहीं है. संभव है कि कुछ इलाकों में शॉर्ट वेव रेडियो ब्लैकआउट देखने को मिले.
जिस प्रकार सीएमई हमारी पृथ्वी को प्रभावित करती है, उसी प्रकार सूर्य से निकलने वाली सौर ज्वालाएँ पृथ्वी तक पहुँचती हैं और अपना प्रभाव दिखाती हैं। जब सूर्य चुंबकीय ऊर्जा छोड़ता है तो निकलने वाले प्रकाश और कणों से सौर ज्वालाएँ उत्पन्न होती हैं। ये ज्वालाएँ हमारे सौर मंडल में अब तक देखे गए सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिससे अरबों हाइड्रोजन बमों के बराबर ऊर्जा निकलती है। इनमें मौजूद ऊर्जावान कण प्रकाश की गति से चलते हैं।
