राहत के बाद मुसीबत, बकायेदारों पर फिर चलने लगा वसूली का डंडा

नागौर। नागौर करीब सात-आठ महीने पहले सरकारी समझौते से अब तक राहत महसूस करने वाले शराब के ठेकेदारों पर फिर आफत आएगी। एक ओर बकाया वसूली के लिए आबकारी विभाग की सख्ती से न्यायालय की शरण लेने वाले अधिकांश बकायादार पर फिर कुर्की/नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, वहीं समझौते में बकाया पर दी गई राहत का हिसाब-किताब ही उन्हें समझ नहीं आ रहा। 22 ठेकेदारों को फिर से बकाया जमा कराने का नोटिस भेजा गया है। अब सिर्फ पांच ही ठेकेदारहैं जिनसे वसूली पर न्यायालय ने स्टे लगा रखा है। आबकारी विभाग का वर्ष 2021-22 के ठेकेदारों पर करीब 27 करोड़ तो वर्ष 2022-23 के बकायादारों पर पांच करोड़ से अधिक का बकाया चल रहा है।
सूत्रों के अनुसार वर्ष 2021-22 का जिलेभर के 56 ठेकेदारों पर बकाया चल रहा था। पिछले साल आबकारी विभाग ने इसकी वसूली शुरू की, कुछ ने रकम जमा कराई तो कुछ ने आनाकानी की। विभाग की ओर से नोटिस के बाद जमीन/वाहन नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर इन बकायादारों की सम्पत्ति का ब्योरा तक मंगवा लिया गया, यहां तक कि कई जगह कुर्की कर नीलामी की तैयारी शुरू हो गई। इस बीच शराब ठेकेदारों ने वसूली के खिलाफ अभियान चलाया। सरकार के राहत संबंधी समझौते के बाद यह प्रक्रिया लगभग रूक सी गई थी। कुछ अधिकृत शराब के ठेकेदार इस बात पर निश्चिंत थे कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
सूत्रों का कहना है कि जो बकायादार हाइकोर्ट नहीं गए उन पर भी कार्रवाई में पग-पग पर मुश्किलें आई। कहीं पटवारियों ने सम्पत्ति का विवरण आबकारी कारिंदों को नहीं पहुंचाया तो कहीं ठेका ही किसी नौकर/मजदूर के नाम निकला, इसके चलते तलाशने में उनके नाम कोई सम्पत्ति ही नहीं निकल पाई। एक दर्जन से अधिक ठेकेदार तो किसी के कहने पर नाम मात्र के ही ठेकेदार थे। ऐसे में उनसे वसूली कैसे हो? यही नहीं शराब के ठेकेदारों ने प्रदेशव्यापी सरकार के खिलाफ छेड़ दिया सो अलग। नागौर में तो ढोल बजाकर रैली तक निकाली गई, विरोध अब भी जारी है, ऐसे में कई ठेकेदार इस भ्रम में रहे कि सरकार उनका बकाया माफ कर देगी।
