बढ़ती महंगाई के कारण मिट्टी के दीये जलाना कम हो गया
झुंझुनू: दीपावली का पांच दिवसीय पर्व जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है। वैसे-वैसे बाजार में खरीददारी करने वालों की भीड़ उमड़ रही है। लोग शहर के साथ-साथ गांवों मे भी खरीददारी करने आ रहे हैं। वहीं पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व पर परंपरा के अनुसार कुम्हार के घर से मिट्टी के बर्तन खरीदकर लाए जाते हैं। लेकिन बढ़ती महंगाई से हर प्रकार का वर्ग परेशान है।
अब शगुन के रूप में खरीदने लगे मिट्टी के दीपक : वर्तमान में लोगों के द्वारा नए-नए फैशनेबल सजावटी लाइट, प्लास्टिक इलेक्ट्रिक से चलने वाले दिए आदि सजावट का सामान सस्ता होने व कई बार काम में आने के कारण लोगों के द्वारा अधिक खरीदे जाने लगे हैं। वहीं परम्परा से खरीदे जाने वाले मिट्टी के बर्तन महंगे होने के कारण कम ही खरीदे जाते हैं। पहले पर्व पर मिट्टी के दियों से अपने घर को सजाया जाता था लेकिन अब महंगाई होने के कारण दीपोत्सव के पर्व पर मिट्टी के दिये केवल शगुन के रूप में खरीदे जाने लगे। मिट्टी के बर्तनों से जुड़े कैलाश, लुणाराम व प्रमोद आदि ने बताया कि पहले लोग दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के लिए 25 या 50 से अधिक दीपक खरीदते थे लेकिन अब धीरे-धीरे मिट्टी के दीयों की तरफ से लोगों का रूझान घटने लगा और शगुन के तौर पर 11 दीपक ही खरीदने लगे।