ग्रामीणों को नक्सली समझकर किया गिरफ्तार, रिहाई की हो रही मांग

कांकेर। बिनागुंडा के चार निर्दोष आदिवासियों को गिरफ्तार कर माओवादी करार देना फर्जी है। सर्व आदिवासी समाज सर्कल छोटेबेठिया एवं बेचाघाट संघर्ष समिति चारों निर्दोष आदिवासी युवकों को बेशर्त रिहा करने की मांग करती है। सर्व आदिवासी समाज सर्कल छोटेबेठिया एवं बेचाघाट संघर्ष समिति ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि बीते 12 से 16 जनवरी के दौरान एसटीएफ, कांकेर डीआरजी, नारायणपुर डीआरजी, एवं बीएसएफ के द्वारा संयुक्त अभियान चलाया गया। जिसमें उन्हें माओवादियों के ठिकानों के अलावा कहीं भी कुछ नहीं मिला।

वहीं अपनी नाकामी और कमजोरी को छुपाने के लिए 15 जनवरी को सुदूर अंचल अबूझमाड़ के बिनागुंडा गांव पहुंच कर गांव को चारों तरफ से घेर कर अबूझमाडिय़ा जनजाति के महिला, पुरूष एवं बच्चों के साथ मारपीट तथा महिलाओं के बदन से कपड़े उतारना जैसे घिनौना हरकत की गई और छ: निर्दोष आदिवासी युवकों को पकड़ कर छोटेबेठिया थाना ले आए। दो युवकों को छोड़ दिए तथा चार निर्दोष आदिवासी युवकों को हिरासत में लेकर माओवादी करार दिया गया। पुलिस के लिए यह कोई नई बात नहीं है, जब कभी भी पुलिस गश्त पर निकलती है तो निर्दोष आदिवासियों को पकड़ कर फर्जी एनकाउंटर, फर्जी मुठभेड़, एवं फर्जी गिरफ्तारियां जैसे घटनाओं को अंजाम देती है। पुलिस प्रशासन की इस हरकत की सर्व आदिवासी समाज सर्कल छोटेबेठिया एवं बेचाघाट संघर्ष समिति घोर निन्दा करती हैं तथा अबूझमाडिय़ा जनजाति के चारों निर्दोष आदिवासी युवकों को बेशर्त रिहा करने की मांग करती है।