हनी ट्रैप मामले एसआईटी ने संदेह पर जांच की

मध्यप्रदेश | बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले से जुड़े मानव तस्करी मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच संदेह के घेरे में है. वजह- एसआईटी ने इस मामले में तीन साल बाद जो सीडी कोर्ट के सामने पेश की, उसका इस केस से कोई संबंध ही नहीं है. आरोप पत्र में सीडी का भी जिक्र नहीं है. तीन साल बाद अचानक मोबाइल फोन का लिंक मिलने पर भी सवाल उठने लगे हैं।
एडीजे स्मृता सिंह ठाकुर की अदालत ने एसआईटी की उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें इस मामले में सबूत के तौर पर सीडी पेश करने की बात थी. इसे मई में कैमरे में देखने के लिए पेश किया गया था. दरअसल, एसआईटी ने आरोपी आरती दयाल के मोबाइल फोन का लिंक खोलने पर वीडियो और फोटो मिलने का दावा किया था. मानव तस्करी का यह मामला 2019 से लंबित है.
एसआईटी ने 22 फरवरी 2022 को दो मोबाइल हैदराबाद स्थित एफएसएल को भेजे थे. मोबाइल का लिंक मिलने पर जब फुटेज मिली तो कोर्ट के सामने बंद कमरे में इस वीडियो को देखने की इजाजत मांगी गई. कानून के जानकारों के मुताबिक इस मामले में पहले भी बड़े चेहरों को बचाने के लिए आरोप लगते रहे हैं और अब तत्काल जांच से यह सवाल उठने लगा है कि क्या ऐसे में 8 विचाराधीन कैदियों को फायदा होगा, उनमें से ज्यादातर बच जाएंगे .
जब जांच अधिकारी मनोज शर्मा से बात की तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। अर्जी खारिज होने के बाद हाई कोर्ट जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह मैं नहीं बता सकता. एसआईटी प्रमुख एडीजी वीके माहेश्वरी ने मामला कोर्ट में होने का हवाला देकर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
