
रायपुर। छत्तीसगढ प्रतियोगी अभ्यर्थी मंच ने राज्य में कांग्रेस के शासन के पतन को बेरोजगारो के साथ किए गए अत्याचार का परिणाम बताया है। संगठन ने मांग की है कि नई सरकार शपथ ग्रहण के तत्काल बाद, शिक्षित युवा बेरोजगारों के द्वारा उठाए गए, सभी मुद्दों पर, तत्काल कार्रवाई कर, युवाओं को राहत दे। युवाओं में आदिवासी, मजदूर, किसान दलित सभी वर्ग के परिवारों के लोग शामिल हैं, यह प्रदेश के हर परिवार की मांग है। छत्तीसगढ प्रतियोगी अभ्यर्थी मंच के अध्यक्ष सुरज धनकर, सचिव दीप्ती वर्मा, शौरभ गुप्ता, वर्षा गुप्ता, हीरा साहू , रानू ,किरण पटेल , नितेश प्रधान ,रोमन साहू, अक्षय कुमार, टिकेश्वर प्रसाद, वैद्यनाथ बंजारा, चित्ररेखा सिन्हा, ज्योति शर्मा, शिवम् धीवर और सुनील पटेल है।

छत्तीसगढ प्रतियोगिता अभ्यर्थी मंच ने नई राज्य सरकार से तत्काल की गई मांगों शामिल हैं…
1) PSC की “राज्य सेवा परीक्षा” (डिप्टी कलेक्टर डीएसपी सहित राज्य सेवा के सभी बड़े पदों की भर्ती परीक्षा का नाम है) में “OMR ” शीट का यूनिक कोड गायब करवाया गया, घोटाले के लिए घर में बैठकर पीएसी अध्यक्ष, पीएससी सचिव, अन्य अधिकारियों और कांग्रेस के नेताओं के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के ओएसडी आशीष शर्मा के रिलेटिव के बच्चों को उत्तर पुस्तिकाएं घर में बैठकर लिखवाई गई। उन्हें टॉपर बनाकर, डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी और अन्य बड़े पदों पर चयनित किया गया है। तत्काल उनकी नियुक्ति रद्द की जाए, पीएससी सचिव को बर्खास्त किया जाए, पीएससी की पूराने अध्यक्ष को खिलाफ एफआईआर कर गिरफ्तार किया जाय। घर में बैठकर उत्तर पुस्तिका लिखने के लिए ही उत्तर पुस्तिकाओं से ओएमआर कोड गायब किया गया था, जो पीएससी की मुख्य परीक्षा में भी और पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में भी अंकित नहीं किया गया था।
2) गरीब आदिवासी, दलित, ओबीसी और गांव के बच्चों को सरकारी नौकरी से वंचित करने का आदेश, भूपेश सरकार ने अपने अधीनस्थ विभाग “सामान्य प्रशासन विभाग ” से 3 फरवरी 2022 को एक आदेश जारी करवाया। जिसमें क्लर्क, डाटा एंट्री ऑपरेटर, स्टेनोटायपिस्ट और स्टेनो ग्राफर के पदो की भर्ती में एक नई शैक्षिण ऐसी योग्यता जानबूझकर जोड़ी, जो छत्तीसगढ़ के किसी युवा के पास है ही नहीं, क्योंकि इस योग्यता की कोई परीक्षा छत्तीसगढ़ में आजतक आयोजित ही नहीं हुई है. ये योग्यता है स्कूल स्तर की “कंप्यूटर टायपिंग पास सर्टिफिकेट’ 3 फरवरी 2022 के आदेश तत्काल रद्द किया जाए।
3) एक प्रदेश में एक ही पद की भर्ती के लिए दो तरह के अलग-अलग नियम चले। भूपेश शासन नियमों से नहीं ठेगेदारी से चल रहा था. क्लर्क हो या चपरासी के पदों में भर्ती, एक जिले से दूसरे जिले और विभागों में भर्ती के अलग-अलग मानदंड हैं. कहीं शैक्षिण योग्यता तो कहीं परीक्षा का आयोजन, सेटिंग के अनुसार मापदंड हैं. उच्च शिक्षा विभाग चपरासी की भर्ती के लिए परीक्षा लेगा ( विज्ञापन जारी अक्टूबर 2023), जिलों में पांचवीं का प्रतिशत आधार. आश्चर्य है RTE नियमो के तहत वर्ष 2010 से लागू है, जिसमें बच्चों को सिर्फ ग्रेडेशन दिया गया है प्रतिशत नहीं, सभी को पास भी करना है फिर प्रतिशत किस आधार पर ? फर्जी पांचवी पास सर्टिफिकेट धारियों को सलेक्ट किया गया है, पूरे प्रदेश में भर्ती के एक समान नियम लागू किए जाए।
4) छत्तीसगढ़ के गरीब आदिवासी, दलित, ओबीसी और गांव के बच्चों को सरकार नौकरी से वंचित करने के लिए भूपेश सरकार ने चपरासी तक की परीक्षा में अंग्रेजी और गणित के प्रश्न अनिवार्य किये गए. जैसा कि मंत्रालय की चपरसी भर्ती परीक्षा में किया गया. इसे तत्काल समाप्त किया जाए।
5) युवाओ को दिखने के लिए विज्ञापन जारी, भर्ती नहीं: विधानसभा चुनाव देखते हुए, सभी जिलों में बाबू सहित अन्य नियमित पदों पर मई / जून 2023 में आवेदन लिए गए हैं, न परीक्षा का पता न भर्तियां हुई, सिर्फ युवाओ को झांसा देने का प्रयास किया भूपेश सरकार ने । यह परीक्षाएं तत्काल आयोजित की जाए ।
6) गरीब वर्ग के ST,SC, OBC और महिलावर्ग के लोगों को बड़े सरकारी पदों पर पहुँचाने से वंचित करने का षडयंत्र : वर्ष 2020 में भूपेश सरकार ने अपने अधीनस्थ विभाग “सामान्य प्रशासन विभाग ” से एक आदेश जारी करवाया कि जो व्यक्ति ST, SC, OBC और महिलावर्ग से हैं, वे चपरासी या अन्य कोई सरकारी पद पर सलेक्ट हो गए, उन्हें नौकरियों में इस वर्ग को अधिकत्तम उम्र 45 वर्ष का लाभ नहीं मिलेगा, सिर्फ 38 वर्ष तक ही आवेदन करेंगे. इसके लिए आदेश में एक झूठ का उल्लेख किया कि ऐसा दुष्कृत्य 1972 के आदेश आधार पर किया जा रहा है. हकीकत ये है कि 1972 का आदेश, इस वर्ग को छोटे पदों से बड़े पदों पर सलेक्ट होने के लिए, अतिरिक्त 3 साल का अधिक समय दिया गया है, उस समय इस वर्ग के लिए 35 वर्ष तक का लाभ नौकरियों में आवेदन करने का था और सामान्य वर्ग को 30 वर्ष तक था, लेकिन नौकरी पाने पर, गरीब परिवार का बच्चा भी बड़े पद पहुँच सके, इसलिए 38 वर्ष किया गया था. इस आदेश को रद्द किया जाय।
7) पैक्स बैंक के पदों की भर्ती में छत्तीसगढ़ के गरीब, आदिवासी, दलित, ओबीसी और गांव के बच्चों को सरकारी नौकरी पाने से वंचित करने का षडयंत्र : अपैक्स बैंक के 400 से अधिक पदों के विभिन्न पदों में गरीब , आदिवासी, दलित, ओबीसी और गांव के बच्चों को सरकारी नौकरी पाने से वंचित करने के लिए कंप्यूटर की योग्यता पीजीडीसीए जोड़ा गया, जबकि ये योग्यता डिप्लोमा कंप्यूटर होना चाहिए था। प्रदेश के ग्रामीण अंचलों और आदिवासियों चुनाव में रहने वाले सभी स्टूडेंट 12वीं के बाद 1 वर्ष से डिप्लोमा कंप्यूटर डिप्लोमा करते हैं. योग्यता में पीजीडीसीए मांग कर खरीद सरकार ने 90% युवाओं को प्रतियोगिता से बाहर कर दिया। अपेक्स बैंक की भर्तियों के लिए विज्ञापन फिर से जारी कर आवेदन दिए जाएं ताकि गरीब युवा सेलेक्ट हो सके।