कटारिया बोल, संतों का आशीर्वाद ही ठीक करेगा देश की राजनीति और नेताओं की सोच

चित्तौडग़ढ़। चित्तौडग़ढ़ तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा-2022 के तहत लेवल वन का फाइनल रिजल्ट गुरुवार को कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से जारी कर दिया गया। मेवाड़ समेत प्रदेश के हजारों युवा इस परिणाम का इंतजार कर रहे थे। जानकारों का कहना है कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से जारी फाइनल परिणाम के बाद अब लेवल वन के 21 हजार पदों पर चयनित अभ्यर्थियों को शिक्षा विभाग की ओर से पोस्टिंग दी जाएगी। उधर, शिक्षा विभाग ने भी चयनित अभ्यर्थियों की पोस्टिंग की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य के कुछ जिलों में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में लेवल वन के पद रिक्त नहीं होने की स्थिति में माध्यमिक स्कूलों के रिक्त पदों को शामिल करने पर भी विचार किया जा रहा है। गौरतलब है कि उक्त भर्ती को लेकर 25 फरवरी को परीक्षा का आयोजन किया गया था जिसका परिक्षा परिणाम 26 मई को जारी कर अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन किया गया था। बैठक विधानसभा आम चुनाव 2023 को लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी की अध्यक्षता में शुक्रवार शाम साढ़े चार बजे समस्त राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों की बैठक। यह जानकारी उप जिला निर्वाचन अधिकारी अभिषेक गोयल ने दी।
उधर, शिक्षक संघों ने बताया कि अध्यापकों को बिना किसी कारण के दूसरे स्कूल में भेजकर उनके स्थान पर नई नियुक्तियां करना उचित नहीं है। सभी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 का पाठ्यक्रम, कक्षा शिक्षण, स्कूल समय और मूल्यांकन पद्धति समान है। वहीं नव नियुक्त और पुराने शिक्षकों की योग्यता भी सामान है। ऐसे में सेटअप परिवर्तन के बजाय माध्यमिक शिक्षा के रिक्त पदों को नई भर्ती में शामिल करने का प्रावधान करना चाहिए। अब बिजली कंपनियां प्रदेश में बिजली घरों (33/11 केवी जीएसएस) के निर्माण पर करोड़ों रुपए खर्च नहीं करेंगी। अब इनका निर्माण ओपेक्स मॉडल पर बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (बीओटी) के तहत किया जाएगा। बिजली कंपनियां अब इनके निर्माण पर एक साथ करोड़ों रुपये खर्च करने के बजाय ठेकेदार फर्मों को निर्माण लागत की मासिक किश्तें देंगी। इससे पहले भी अजमेर डिस्कॉम के अधीन चित्तौड़गढ़ सहित कई जिलों में ओपेक्स मॉडल पर जीएसएस बनाने की घोषणा की गई थी. इनमें से कुछ का निर्माण कुछ स्थानों पर किया जा रहा है। जयपुर, जोधपुर डिस्कॉम में यह मॉडल पूरी तरह से लागू किया जा रहा है। जबकि अजमेर डिस्कॉम में यह आधा लागू होगा। अजमेर डिस्कॉम में 50 प्रतिशत जीएसएस का निर्माण ओपेक्स मॉडल पर तथा 50 प्रतिशत जीएसएस का निर्माण सीएलआरसी दरों पर किया जायेगा। ऐसा होने पर बिजली घरों का निर्माण तेजी से होगा। लोगों को गुणवत्तापूर्ण बिजली उपलब्ध होगी. फीडर छोटे होंगे. फाल्टों में भी कमी आएगी।


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