छत्तीसगढ़ में मशहूर हैं ये पारंपरिक व्यंजन, शादी हो या समारोह थाली में जरूर परोसे जाते हैं

छत्तीसगढ़ जितना अपने संस्कृति, परंपरा, लोक गीत, लोक नृत्य के लिए प्रसिद्ध है उतना ही अपने पारंपरिक और स्वादिष्ट भोजन के लिए भी फेमस हैं। छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज के बीच ऐसे कई पारंपरिक भोजन और व्यंजन प्रसिद्ध है, जिसके बारे में हर किसी को नहीं पता है। सभी राज्यों में अलग अलग तरह के भोजन और व्यंजन प्रसिद्ध है, जिस तरह से दक्षिण भारत में डोसा, इडली और अप्पम फेमस है उसी तरह छत्तीसगढ़ में फरा, चिला, सब्जियों की कढ़ी और पूरन लड्डू जैसे स्वादिष्ट मिठाई प्रसिद्ध है।

सब्जियों की कढ़ी
जहां बाकी जगह पकौड़ी से कढ़ी बनाई जाती है वहीं छत्तीसगढ़ में तरह-तरह की सब्जियों से कढ़ी बनाई जाती है। छत्तीसगढ़ में गर्मियों में शकरकंद और बैंगन की कढ़ी बहुत फेमस है। सर्दियों में या मूली और बैंगन की कढ़ी बनाई जाती है और बारिश के दिनों में भिंडी की कढ़ी बहुत लोकप्रिय है। चना दाल, मसूर, बैंगन, जिमीकंद समेत और भी दूसरे सब्जियों को दही में बनाकर स्वादिष्ट कढ़ी बनाई जाती है।
पुरन लड्डू
जहां देश भर में बूंदी, बेसन और मोतीचूर के लड्डू प्रसिद्ध है वहीं छत्तीसगढ़ में पुरन लड्डू बहुत फेमस है। आटा, घी और शक्कर को मिक्स कर पहले लड्डू बनाया जाता है फिर लड्डू को बूंदी की चाशनी में लपेटकर लड्डू तैयार किया जाता है। शादी ब्याह से लेकर हर छोटे बड़े शुभ कार्य में इस लड्डू को परोसा जाता है।
चीला, फरा, चौसेला और कतरा
धान के नया फसल आने के बाद छत्तीसगढ़ में नया चावल को कूट पीस कर उसके आटे से चीला, फरा, चौसेला (चावल आटे की पुड़ी) और कतरा बनाया जाता है। यह चारों ही व्यंजन छत्तीसगढ़ में बहुत प्रसिद्ध है। सर्दियों में चिला और फरा नाश्ते के रूप में और भोजन के लिए कतरा और चौसेला को बनाया जाता है। जिस प्रकार खीर और पुड़ी का बढ़िया संयोजन है उसी तरह से कतरा और चौसेला का संयोजन है। चौसेला चावल आटे से तैयार पूड़ी है और वहीं कतरा चावल के आटे और दूध से तैयार कतरा की तरह होता है।
बोरे और बासी
ये दोनों ही एक ही चीज से बनाया जाता है, लेकिन दोनों का स्वाद बहुत अलग है। सुबह के चावल को पानी में डुबोकर रात में दही या छाछ, नमक, प्याज, सब्जी, दाल और आम की पिसी हुई चटनी के साथ परोसा जाता है। वहीं रात में बचे हुए चावल को पानी में डुबोकर सुबह धनिया मिर्च की चटनीऔर मूली के साथ खाया जाता है। इसे बासी कहा जाता है और अक्सर इसे सर्दियों में खाया जाता है।