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राजभवन पहुंचा ट्रिब्यूनल का मामला

शिमला। फिर से सेवा मामलों को निपटाने के लिए ट्रिब्यूनल खोलने का विरोध करते हुए हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। वकीलों ने इस मामले पर पुनर्विचार करवाने का आग्रह किया है। संगठन की अध्यक्ष दिलीप कैथ अपनी टीम के साथ शुक्रवार को राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से मिले। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं का कहना है कि राज्य सेवा प्राधिकरण को पुन: खोलना वादियों के हक में नहीं है। इससे उन्हें न्याय मिलने में और अधिक देरी होगी। सेवा प्राधिकरण को पहले ही दो बार बंद किया जा चुका है। गौरतलब है कि वर्ष 1986 में पहली बार सेवा प्रशासनिक प्राधिकरण का गठन किया था। जुलाई 2008 में प्राधिकरण को बंद कर दिया। प्राधिकरण बंद होने के पश्चात 25000 मामलो को हाई कोर्ट के लिए स्थानांतरित कर दिया। इसके पश्चात फरवरी 2015 में प्रशासनिक प्राधिकरण का पुन: गठन किया गया।

सेवा संबंधी सारे मामले पुन: गठित किए प्रशासनिक प्राधिकरण के लिए स्थानांतरित किए गए। अगस्त 2019 में फिर से प्राधिकरण को बंद कर दिया और 24000 मामले जो प्राधिकरण के समक्ष लंबित पड़े थे उनको तथा निपटाए गए सारे मामलों का रिकार्ड हाई कोर्ट के लिए स्थानांतरित किया। प्राधिकरण के बंद होने के कारण ही प्रदेश उच्च न्यायालय में जजों की संख्या 13 से बढक़र 17 की गई, ताकि मामलों का शीघ्र निपटारा किया जा सके। 2008 के पश्चात 70- 80 फीसदी स्टाफ सेवानिवृत्त हो चुका है। ट्रिब्यूनल के लिए 150 के लगभग अतिरिक्त पदों को सृजित करने की आवश्यकता है। 24000 से अधिक लंबित मामले दोबारा ट्रिब्यूनल के लिए स्थानांतरित किए जाएंगे जिनका दोबारा से पंजीकरण होगा। अप्रशिक्षित स्टाफ के कारण इस कार्य के लिए ही दो से तीन वर्ष का समय लग जाएगा। अब राज्य सरकार सेवा प्रशासनिक प्राधिकरण खोलने बाबत निर्णय ले चुकी है। इसके विरोध में हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने ज्ञापन सौंप कर राज्यपाल से इस पर पुनर्विचार करवाने को कहा है।


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