ISRO ने चंद्रयान-3 को लेकर किया ट्वीट, दी बड़ी जानकारी

नई दिल्ली: 23 अगस्त 2023 का दिन अंतरिक्ष के इतिहास में भारत के लिए खास था। इसी दिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग हुई थी। चंद्रयान-3 के उतरते ही लैंडर मॉड्यूल ने वहां एक शानदार ‘इजेक्टा हेलो’ उत्पन्न किया। एनआरएससी और इसरो के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लैंडिंग के साथ ही लगभग 2.06 टन चंद्र एपिरेगोलिथ उसके आसपास 108.4 वर्ग मीटर के क्षेत्र में बिखर गए।

हाल ही में इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने यह भी कहा था कि चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर सुप्तावस्था में है, लेकिन इसके फिर से सक्रिय होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि था चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य सॉफ्ट लैंडिंग था और इसके बाद अगले 14 दिन तक प्रयोग किए गए और सभी जरूरी आंकड़े एकत्र कर लिये गये हैं। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या इसरो को अब भी उम्मीद है कि रोवर फिर से सक्रिय हो जाएगा, उन्होंने कहा कि उम्मीद रखने का कारण है।
सोमनाथ ने अपनी उम्मीद के कारण बताते हुए कहा कि इस मिशन में एक लैंडर और एक रोवर शामिल थे। उन्होंने बताया कि चूँकि लैंडर एक विशाल संरचना है, इसलिए इसका पूरी तरह से परीक्षण नहीं किया जा सका। उन्होंने कहा कि लेकिन जब रोवर का परीक्षण शून्य से 200 डिग्री सेल्सियस नीचे पर किया गया, तो यह उससे भी कम तापमान पर काम करता हुआ पाया गया।
इसरो प्रमुख ने स्पष्ट किया कि चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि इसरो मिशन के माध्यम से एकत्र किए गए वैज्ञानिक डेटा का पता लगाने की कोशिश कर रहा है।
गत 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने के बाद, लैंडर तथा रोवर और पेलोड ने एक के बाद एक प्रयोग किए ताकि उन्हें 14 पृथ्वी दिन (एक चंद्र दिवस) के भीतर पूरा किया जा सके। चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है। पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा पर रात्रि की शुरुआत होने से पहले, लैंडर और रोवर दोनों क्रमशः चार और दो सितंबर को सुप्तावस्था या निष्क्रय अवस्था (स्लीप मोड) में चले गये थे।
Chandrayaan-3 Results:
On August 23, 2023, as it descended, the Chandrayaan-3 Lander Module generated a spectacular ‘ejecta halo’ of lunar material.Scientists from NRSC/ISRO estimate that about 2.06 tonnes of lunar epiregolith were ejected and displaced over an area of 108.4 m²…
— ISRO (@isro) October 27, 2023