नौवीं बार टारगेट से भटका पार्वती प्रोजेक्ट

सैंज। सनातन का सबसे बड़ा पर्व दीपावली ऐसे समय में आ गई है जब एनएचपीसी को खुशहाली की रोशनी के साथ पार्वती प्रोजेक्ट चरण दो में हाइड्रो क्षेत्र में सुनहरे भविष्य की उम्मीद जगी है। भले ही एनएचपीसी द्वारा पार्वती प्रोजेक्ट के निर्माण का लक्ष्य नौ बार भटक गया है किंतु एशिया की सबसे लंबी टनल के बनते ही अब एनएचपीसी फ्रंट फुट पर आ गई है। लिहाजा विद्युत राज्य होने के नाते बिजली प्रोजेक्ट के मार्फत प्रदेश में एक नए पर्यटन की शुरुआत भी हो सकती है। जहां तक पार्वती प्रोजेक्ट चरण 2 का सवाल है, उक्त प्रोजेक्ट अपने निर्माण लक्ष्य से नौ बार भटक चुका है। दिसंबर 1999 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने सैंज में इसका शिलान्यास किया था।

2001 से प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू हुआ। केंद्र सरकार ने पार्वती प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य एनएचपीसी के साथ अनुबंध किया तथा एनएचपीसी ने निर्माण कार्य के साथ ही पार्वती प्रोजेक्ट के उत्पादन का शुरुआती लक्ष्य 2007 निर्धारित किया। किंतु निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ तथा नया लक्ष्य 2009 निर्धारित किया गया। सियूंड गांव में प्रोजेक्ट की पावर हाउस पर पहाड़ी गिरने से निर्माण कार्य पिर लटका। नया लक्ष्य वर्ष 2010 रखा, लेकिन निर्माण कार्य में आई बाधा के चलते नया टारगेट वर्ष 2014 में निर्धारित किया। हैड रेस टनल में फंसी टीबीएम मशीन ने टारगेट को वर्ष 2018 तक खिसका दिया। शिलागढ़ की पहाडय़िों में लीकेज के चलते टारगेट फिर चूक गया। केंद्र सरकार ने एनएचपीसी को निर्माण कार्य का नया लक्ष्य 2020 दिया लेकिन फिर भी काम पूरा नहीं हुआ। किंतु निर्माण कार्य में आई प्राकृतिक बाधा के चलते 2022 में टारगेट पूरा करने का जिम्मा उठाया।