नगर निगम से स्वच्छता पर्यवेक्षक हटाने पर रोक, दिया ये निर्देश

झारखण्ड | धनबाद नगर निगम में संविदा पर काम कर रहे 33 स्वच्छता पर्यवेक्षकों को हटाने पर रोक लगा दी गई है. चीफ जस्टिस संजय मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने झारखंड सरकार और धनबाद नगर निगम को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

सितंबर से धनबाद के 33 स्वच्छता पर्यवेक्षकों को काम से हटाते हुए उनकी जगह सफाई का जिम्मा जेई को सौंपा गया था. जेएसससी ने स्वच्छता पर्यवेक्षक पद पर नियमित नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है, जिसमें शैक्षणिक योग्यता की शर्तों में बदलाव किया गया है. इसके खिलाफ नगर निगम की स्वच्छता पर्यवेक्षक प्रार्थी मधुमिता विश्वास सहित 23 ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता रूपेश सिंह और अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि धनबाद नगर निगम में संविदा पर स्वच्छता पर्यवेक्षक 15 से काम कर रहे हैं, लेकिन जेएसएससी ने जुलाई में इन पदों पर नियमित नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है.
14 की नियुक्ति नियमावली में इस पद के लिए शैक्षणिक योग्यता इंटर और स्नातक थी. लेकिन 21 में नियुक्ति नियमावली में संशोधन कर शैक्षणिक योग्यता में स्नातक के साथ पीजी डिप्लोमा इन हेल्थ एंड हाइजिन की योग्यता को जोड़ा गया है. उक्त शर्त स्वच्छता निरीक्षक के लिए भी लागू की गई है.
निरीक्षक से नीचे के पद में इस तरह की शैक्षणिक योग्यता की शर्त लगाना उचित नहीं है. अदालत को यह भी बताया गया कि पूरे झारखंड में डिप्लोमा इन हेल्थ एंड हाइजिन की पढ़ाई नहीं होती है. प्रार्थी इतने वर्षों से धनबाद नगर निगम में काम कर रहे हैं. ऐसे में अब उनकी उम्र भी योग्यता प्राप्त करने के लिए अधिक हो गई है, इसलिए प्रार्थियों को राहत प्रदान की जाए. अदालत ने प्रार्थियों की दलील सुनने के बाद उनको हटाने पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार और धनबाद नगर निगम से जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 25 को की जाएगी.
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