तारामीरा की फसल बारानी क्षेत्रों के लिए वरदान साबित हो रही, किसान खुश

झुंझुनू। झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी के पहाड़ी क्षेत्र में तारामीरा की फसल बारानी जमीन के लिए वरदान साबित हो रही है. जलस्तर नीचे जाने पर कम पानी की यह फसल मुख्य फसल का रूप धारण कर रही है। इसकी खेती से किसान कम लागत में मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। नवलगढ़, खेतड़ी, नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है। किसान परसाराम सैनी बघोली, लक्ष्मण शर्मा, बहादुर, पूरनमल जाट ने बताया कि एक हेक्टेयर में बोने के लिए पांच किलोग्राम बीज उपयोगी होता है। इसकी कीमत 90 से 125 रुपए किलो है। रबी की यह फसल करीब 120 दिन में तैयार हो जाती है। इसे 15 अक्टूबर के बाद बोया जाता है।
किसान फूलचंद कुड़ी ने बताया कि एक हेक्टेयर पर करीब 8 से 10 हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। अच्छी फसल होने पर 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है। तारामीरा में 35 प्रतिशत तेल पाया जाता है। इससे किसान को प्रति क्विंटल करीब पांच हजार रुपए की आमदनी होती है। राजस्थान की वर्षा आधारित फसलों में अपना स्थान रखने वाली तारामीरा फसल को विशेष सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। फसल बोने के बाद मावठ की जरूरत होती है। यदि पानी हो तो अच्छी उपज के लिए दो सिंचाइयां दी जा सकती हैं। जीरो बजट खेती से किसान को कम खर्च में अधिक आय प्राप्त होती है। साबुन, दवा सहित कई उद्योगों में तारामिरा की काफी मांग है। जिले में प्रतिवर्ष तारामीरा का क्षेत्रफल बढ़ रहा है। इस वर्ष जिले में करीब 300 हेक्टेयर में तारामीरा की बुआई की गई है। कृषि की नई तकनीकों के आने से किसानों का रुझान खाद्यान्न की बजाय तिलहनी फसलों पर अधिक हुआ है। इनमें लागत कम और लाभ अधिक होता है।
