बांका ट्रैक पर मिला वृद्ध का शव

बिहार ; अमरपुर थाना क्षेत्र के बरमसिया गांव के एक बुजुर्ग व्यक्ति का शव को मुंगेर जिले के बरियारपुर स्टेशन के समीप रेलवे ट्रैक पर पड़ा मिला. शव के पास मिले आधार कार्ड से उनकी पहचान अमरपुर थाना क्षेत्र के बरमसिया गांव के गणेश साह (65) के रूप में हुई. वहीं के परिजनों ने बुजुर्ग की हत्या का आरोप लगाया है. इस बीच सूचना मिलने पर जीआरपी ने घटनास्थल पर पहुंच कर शव को अपने कब्जे में लिया. शव की शिनाख्त के लिए बुजुर्ग का फोटो अमरपुर पुलिस के पास भेजा. अमरपुर पुलिस ने बरमसिया गांव में फोटो भेज कर उनकी शिनाख्त कराई. वृद्ध की मौत की खबर मिलते ही परिवार के लोग रोते बिलखते थाना पहुंचे.

गणेश के पुत्र सुनील साह ने आरोप लगाया कि पिता की मौत ट्रेन से कटकर नहीं हुई, बल्कि उनकी हत्या की गई है. बताया कि एक वर्ष पूर्व गांव के ही आलोक यादव तथा उनके बहनोई मुंगेर के घुरमट्टा गांव के संजीव यादव जबरन उनके पिता को उठा कर अपने घर लेकर चले गए. कुछ महीने बाद पता चला कि आलोक यादव ने उनके पिता से दस कट्ठा जमीन अपनी बहन संजू देवी के नाम पर रजिस्ट्री करा ली है. इसके बाद वह घुरमट्टा गांव अपने पिता को लाने गए. लेकिन आरोपियों ने डरा धमकाकर उन्हें वापस लौटने को मजबूर कर दिया. सुनील ने आशंका व्यक्त की है कि आलोक व संजीवयादव ने पिता की हत्या कर शव को रेलवे ट्रैक पर डाल दिया है. गणेश साह के परिजन शव को लाने जमालपुर के लिए रवाना हो गए. थानाध्यक्ष विनोद कुमार ने बताया कि बरियारपुर स्टेशन के पास मिले शव की शिनाख्त हो गई है. परिजनों द्वारा आवेदन दिए जाने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
गेहूं की नई किस्म से समृद्ध होंगे किसान
पीपराकोठी(पूर्वी चंपारण). खेती घाटे का सौदा है, यह आप सालों से सुनते आ रहे हैं. लेकिन अब यह बीते दिनों की बात हो गई है. पूर्वी चंपारण के किसान गेहूं की नयी किस्म की खेती कर समृद्ध व खुशहाल बनेंगे. केविके पीपराकोठी अगले सीजन में किसानों को यह बीज उपलब्ध कराएगा. भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने गेहूं की इस किस्म को तैयार किया है. इसकी खेती से किसानों को एक एकड़ में 35 क्विंटल तक उपज हो सकेगी. वैज्ञानिकों का दावा है कि नई किस्म डीबीडब्ल्यू 327 में बीमारी का प्रकोप नगण्य होगा.
पैदावार मिलेगी बेहतर सामान्य गेहूं के मुकाबले इस किस्म की पैदावार काफी अधिक होती है. सामान्य गेहूं की किस्म से एकड़ में 15-20 क्विंटल का उत्पादन देता है. परंतु नई किस्म से किसान 30-35 क्विंटल तक गेहूं का उत्पादन ले सकेंगे. वैज्ञानिकों द्वारा तैयार इस नई किस्म से उत्तर भारत के किसानों को ज्यादा फायदा मिलेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां की मृदा व जलवायु इस किस्म की खेती व अधिक उत्पादन के अनुकूल है.
नहीं पड़ेगा मौसम का असर इस किस्म की खास बात यह है कि गेहूं की किस्म पर मौसम जैसे अधिक धूप, कम बारिश, कम ठंड आदि का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसका उत्पादन सभी परिस्थितियों में एक समान रहेगा. डीबीडब्ल्यू-327 को पकने यानी तैयार होने में आमतौर पर लगभग 0-0 दिन का समय लगता है.
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